अजब हालः तिहाड़ जेल में फिजियोथेरेपी की सुविधा ही नहीं, कैदी को मिली जमानत
तिहाड़ में लचर व्यवस्था को देखते हुए कोर्ट ने महानिदेशक (डीजी) जेल व दिल्ली सरकार के सचिव (गृह) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
नई दिल्ली (विनीत त्रिपाठी)। दिल्ली की तिहाड़ जेल एशिया की सबसे बड़ी जेल है, लेकिन इस हाईटेक जेल में गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा तो दूर मामूली उपचार की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। जेल में फिजियोथेरेपी की सुविधा न होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने हैरानी जताई और मजबूरी में कोर्ट को अपहरण व धोखाधड़ी के आरोप में बंद कैदी को जमानत पर रिहा करना पड़ा। तिहाड़ में लचर व्यवस्था को देखते हुए अदालत ने जेल अधीक्षक की रिपोर्ट पर महानिदेशक (डीजी) जेल व दिल्ली सरकार के सचिव (गृह) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने डीजी से यह भी पूछा कि आखिर कैदी के इलाज के लिए जेल में फिजियोथेरेपी की सुविधा क्यों नहीं है? थाना नेब सराय में अपहरण, आपराधिक साजिश रचने, धमकी देने समेत अन्य धाराओं में दर्ज मामले में आरोपित अजय शर्मा उर्फ लकी 20 जून 2016 से जेल में बंद है। उसने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर कहा कि वह कमर के निचले हिस्से में दर्द की बीमारी से जूझ रहा है।
उसके वकील ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों ने याचिकाकर्ता को जनवरी 2018 में फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी थी। इस बाबत 30 जून को जेल अधीक्षक ने प्रगति रिपोर्ट पेश करके इसकी पुष्टि भी की। अदालत ने 6 जून को जारी किए गए अलग-अलग नोटिस में जेल अधीक्षक से पूछा था कि जेल के अंदर फिजियोथेरेपी की सुविधा है या नहीं।
14 जुलाई को जेल अधीक्षक ने रिपोर्ट में कहा कि जेल डिस्पेंसरी में फिजियोथेरेपी की कोई सुविधा नहीं है। डीडीयू अस्पताल के फिजियोथेरिपिस्ट द्वारा परीक्षण करने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि यहां ऐसी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी या नहीं।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसे 1 नवंबर 2017 को निचली अदालत ने जमानत पर छोड़ा था और समयसीमा समाप्त होने के बाद उसने जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा कि सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची को जमानत दी जाती है। पीठ ने याचिकाकर्ता को 35 हजार के निजी मुचलके पर जमानत देने के आदेश दिए। साथ ही निर्देश दिया कि वह इस दौरान सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा और अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेगा।
जेल का अस्पताल खस्ताहाल
तिहाड़ जेल में दिल्ली सरकार का 240 बेड का अस्पताल है, जिसमें अलग से सर्जिकल वार्ड भी है, लेकिन अस्पताल खस्ताहाल है। डॉक्टरों का टोटा होने से प्रतिदिन 50 से 55 कैदी बाहर के अस्पतालों में इलाज के लिए भेजे जाते हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012-13 में तिहाड़ जेल के अस्पताल में 10 बड़े ऑपरेशन व 49 माइनर सर्जरी की गई थीं। वर्ष 2013-14 में 235 माइनर सर्जरी व 2014-15 में 10 माइनर सर्जरी की गई थीं। इसके बाद से जेल का ऑपरेशन थियेटर बंद है। अस्पताल में इमरजेंसी सुविधा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2016-17 में इमरजेंसी में सिर्फ 1848 मरीज (कैदी) देखे गए। जेल के अस्पताल में डॉक्टरों के करीब 115 पद हैं, जिसमें से 50 फीसद पद खाली हैं। ज्यादातर रेजिडेंट डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। समस्या यह है कि रेजिडेंट डॉक्टरों की तिहाड़ जेल में काम करने में रूचि नहीं है। यही वजह है कि इमरजेंसी में कैदियों का इलाज अधिक प्रभावित होता है।