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16 दिसंबर, 2012: बेहतरीन पुलिस जांच की नजीर बनी थी वसंत विहार की घटना

पुलिस ने 24 घंटे के अंदर कुछ आरोपितों को दबोच केस को सुलझा लिया था। महज पांच दिनों के अंदर दिल्ली पुलिस ने सभी छह आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 09:53 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 04:33 PM (IST)
16 दिसंबर, 2012: बेहतरीन पुलिस जांच की नजीर बनी थी वसंत विहार की घटना
16 दिसंबर, 2012: बेहतरीन पुलिस जांच की नजीर बनी थी वसंत विहार की घटना

नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। देश व दुनिया को झकझोर देने वाली वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना में दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे के अंदर कुछ आरोपितों को दबोच केस को सुलझा लिया था। महज पांच दिनों के अंदर दिल्ली पुलिस ने सभी छह आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। बेहतरीन तफ्तीश कर पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के बाद 27 दिनों के अंदर आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने जिस पेशेवर अंदाज में जांच की और कोर्ट के समक्ष सबूत पेश किए, दिल्ली पुलिस के इतिहास में यह जांच नजीर बन गई। सुबूत जुटाने में दिल्ली पुलिस ने देश व देश के बाहर के एक्सपर्ट से भी मदद ली थी।

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तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा का कहना है कि पर्याप्त सबूत की वजह से ही 13 सितंबर 2013 को साकेत के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों आरोपितों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता व अक्षय कुमार सिंह को डकैती, हत्या, दुष्कर्म व साक्ष्य मिटाने जैसे संगीन मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने दिल्ली पुलिस के पेशेवर तरीके से की गई जांच की तारीफ की थी। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए जाने की भी तारीफ की थी और कहा था कि इस तरह के प्रयास अन्य केसों में किए जाने की आवश्कता है। अगर बड़े मामलों में इस तरह की तफ्तीश की जाए तो आरोपितों का बच पाना संभव नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार स्तर पर साक्ष्य जुटाए गए थे, जिनमें फिजिकल एवीडेंस, मजिस्टियल एवीडेंस, टेक्नीकल डाटा व साइंटिफिक एवीडेंस शामिल थे। पहली बार किसी केस में इस तरह से साक्ष्य जुटाए गए थे। जांच में कई तरह का प्रयोग पहली बार किया गया। दो आरोपितों राम सिंह व अक्षय ठाकुर ने पीड़िता को दांत से भी काटा था। इसलिए दांत काटने का साक्ष्य जुटाने के लिए टीथ बाइट इंप्रेशन टेस्ट की आवश्यकता पड़ी थी। इन दोनों के निशान मैच कर गए थे।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के सहयोग की वजह से विदेश से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पीड़िता का इलाज व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की गवाही करवाई गई। उसे भी अहम साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया। पर्याप्त सुबूत के कारण ही निचली अदालत द्वारा दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने पर तत्कालीन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने केस की तफ्तीश करने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, नरेश सोलंकी, अनिल शर्मा, नीरज चौधरी, विजय सिंह की सराहना की थी।

फैसले के बाद तनाव नहीं आने पर दोषियों पर कड़ी नजर

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने की जानकारी मिलने के बावजूद वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा पाए चारों सजायाफ्ता के हाव-भाव पहले जैसे ही रहे। तिहाड़ जेल सूत्रों के अनुसार, उनके चेहरे पर तनाव नजर नहीं आया। तनाव के लक्षण नजर आने पर उनकी काउंसिलिंग कराई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, तिहाड़ की जेल संख्या-2 में अक्षय और पवन, जेल संख्या-8 में मुकेश एवं जेल संख्या-4 में विनय बंद है। इन्हें बैरक में अन्य कैदियों के साथ रखा गया है, ताकि इनके बारे में जेल प्रशासन को पूरी जानकारी मिलती रहे। इसके अलावा जेलकर्मियों को भी इनपर नजर बनाए रखने को कहा गया है। 


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