बिहार के बिना संभव नहीं है देश का विकास: नीतीश कुमार
नीतीश कुमार ने कहा कि मिथिला के इतिहास पर सबको नाज है इसलिए मिथिला की संस्कृति और कला को प्रसारित करने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव को दोषी ठहराये जाने के बाद दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की विकास योजनाओं पर खुलकर बात की, लेकिन लालू यादव के बारे में कुछ भी बोलने से बचते हुए नजर आए। नीतीश ने कहा कि मैं न्यायालय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
बिहार के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं
राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय मिथिला संघ की स्वर्ण जयंती के अवसर पर नीतीश कुमार ने कहा कि मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास संभव नहीं है और बिहार के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार लोगों की सुविधा के लिए पूर्णिया और दरभंगा में एयरपोर्ट बनाने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने एयरपोर्ट पर टर्मिनल भवन बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है।
मिथिला के इतिहास पर सबको नाज
नीतीश कुमार ने कहा कि मिथिला के इतिहास पर सबको नाज है इसलिए मिथिला की संस्कृति और कला को प्रसारित करने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में पटना में बनने वाले एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन का ऊपरी हिस्सा नालंदा के खंडहर से मिलता-जुलता दिखाई देगा और भवन के अंदर मिथिला की पेंटिंग दिखाई देगी। यह हम सब लोगो के लिए गौरव की बात होगी। उन्होंने सीता, महाकवि विद्यापति, अयाची मिश्र और मंडन मिश्र के जन्मस्थान के जीर्णोद्धार की घोषणा भी की।
हर कोने में मिथिलावासी
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के हर कोने में मिथिलावासी बसे हुए हैं। वह जहां भी जाते हैं, वहां उन्हें मिथिलावासी मिल जाते हैं इसलिए वह चाहते हैं कि सभी भारतवासियों की थाली में बिहार का कम से कम एक व्यंजन नजर आए। इसमें सबसे पहले मिथिला में होने वाला मखाना हर भारतवासी की थाली का व्यंजन बन सकता है।
महात्मा गांधी से मिथिला का रिश्ता
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिथिला सांस्कृतिक ही नहीं बौद्धिक धरोहर भी है। सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक पाग के सम्मान में भारत सरकार ने अगस्त में ही डाक टिकट जारी किया था। उन्होंने कहा कि मैथिली साहित्य में महाकवि विद्यापति की तुलना अंग्रेजी के शेक्सपियर से की जाती है। विद्यापति का प्रभाव टैगोर की गीतांजलि पर है। जिस योग को आज विश्व मान रहा है उसकी शुरुआत भी मिथिला से हुई। इतना ही नहीं महात्मा गांधी जिस लाठी को लेकर चलते थे, वह लाठी भी 1934 में मिथिला में ही उन्हें भेंट की गई थी।
सीता के जन्मस्थान पर विशाल मंदिर
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर का स्मरण करते हुए कहा कि मिथिला में संस्कृत के विद्वान ही नहीं हुए बल्कि सीता जैसी अनेक विदुषियां भी हुईं। महाजन ने सीता के जन्मस्थान पर विशाल मंदिर की मांग का समर्थन भी किया। कार्यक्रम में भाजपा नेता प्रभात झा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा शराब, दहेज प्रथा और बाल विवाह पर रोक लगाने के बाद से बिहार की माताएं-बहने उन्हें आशीर्वाद दे रही हैं।
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