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Nirbhaya Case Justice: फांसी से ठीक पहले भावुक हुआ दोषी विनय, फिर रो पड़ा

Nirbhaya Case Justice दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा चौथे डेथ वारंट के मुताबिक आखिरकार शुक्रवार सुबह 530 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 07:11 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 01:09 PM (IST)
Nirbhaya Case Justice: फांसी से ठीक पहले भावुक हुआ दोषी विनय, फिर रो पड़ा
Nirbhaya Case Justice: फांसी से ठीक पहले भावुक हुआ दोषी विनय, फिर रो पड़ा

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Nirbhaya Case Justice: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा चौथे डेथ वारंट के मुताबिक, आखिरकार शुक्रवार सुबह 5:30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गई। इस दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन के इंतजात बेहद पुख्ता थे और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई। वहीं, फांसी के तख्ते पर ले जाने के दौरान चारों दोषियों में से एक विनय कुमार शर्मा रो पड़ा। 

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फांसी देने से पहले सभी चारों दोषियों को शुक्रवार तड़के 3 बजकर 15 मिनट पर उठाया गया। इसके बाद उन्हें चाय पीने के लिए दी गई। बताया जा रहा है कि चारों में दो ने चाय पी तो दो ने इनकार कर दिया। 

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इसके बाद चार बजे के आसपास सभी दोषियों को नहलवाया गया। फिर काले पकड़े पहनने के लिए दिए गए। इस दौरान सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं। वैसे फांसी होने का अंदाजा सभी को तभी हो गया था, जब बृहस्पतिवार दोपहर में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट और फांसी पर रोक लगाने की दोषियों की याचिका खारिज कर दी थी।

वैसे तो दिल्ली हाई कोर्ट ने रात 12 बजकर 10 मिनट पर दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी, तो ठीक तीन घंटे बाद 3:30 बजे सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका को आधारहीन बताते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके बाद ही यह तय हो गया था कि उन्हें फांसी दी जाएगी। 

तीन महीने से जारी थी कानूनी लड़ाई

पिछले तकरीबन तीन महीने से निर्भया के चारों दोषियों विनय कुमार शर्मा (Vinay Kumar Sharma), पवन कुमार गुप्ता (Pawan Kumar Gupta), मुकेश सिंह (Mukesh Singh) और अक्षय कुमार सिंह (Akshay Kumar Singh) को फांसी देने को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई थी। एक ओर जहां निर्भया के माता-पिता ने डेथ वारंट जारी करने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस का दरवाजा खटखटाया था, तो वहीं दोषी भी कानूनी पैंतरेबाजी के जरिये फांसी पर रोक की कोशिश में जुट गए थे। दोनों से कानूनी दांवपेंच के चलते पटियाला हाउस कोर्ट को कुल चार बार डेथ वारंट जारी करने पड़े। 

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