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Nirbhaya Case: आज भी दिन ढलने के बाद अंधेरे में गुम हो जाती हैं सड़कें, कैसे होगी सुरक्षा?

Nirbhaya Case अंधेरे की आड़ में यहां गलत गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। मंगलापुरी में बीते काफी समय से स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। गली-मोहल्लों में भी डार्क स्पाट को चिन्हित करने की रफ्तार बेहद धीमी है। गली-मोहल्ले में पुलिस गश्त न के बराबर है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 02:41 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 02:41 PM (IST)
Nirbhaya Case: आज भी दिन ढलने के बाद अंधेरे में गुम हो जाती हैं सड़कें, कैसे होगी सुरक्षा?
द्वारका में मंगलवार रात को सड़क पर पसरा अंधेरा: जागरण

पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले को आठ साल पूरे हो चुके हैं। जिस समय यह हादसा हुआ था, उस समय सभी सरकारी एजेंसियां हरकत में आईं थीं। सड़कों पर रोशनी व सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने का निश्चय किया गया था, लेकिन कई जगहों पर आज भी दिन ढलने के बाद अंधेरा पसर जाता है और सड़कें डराने लगती हैं। इसके अलावा पुलिस भी सड़कों से नदारद नजर आती है।

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मुख्य सड़कों पर आज भी सोडियम लाइटें लगी हुई हैं, जिनसे पर्याप्त रोशनी नहीं होती हैं। बस शेल्टर की बात करें तो वहां भी पर्याप्त रोशनी के इंतजाम देखने को नहीं मिलते हैं। कई जगह तो बस शेल्टर के नाम पर खंभे पर बोर्ड लटका दिया गया है। अंधेरे में गुम सड़कों पर उस बोर्ड की तलाश करना किसी भी अनजान शख्स के लिए चुनौती से कम नहीं है।

द्वारका सेक्टर-1 पुलिस चौकी के सामने मोड़ पर बार-बार शिकायत करने के बाद भी आज तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं की गई है। द्वारका में रात आठ बजे के बाद सन्नाटा पसर जाता है, अंधेरे में डूबी सड़कें न सिर्फ डराती हैं, बल्कि दुर्घटना का भी बड़ा कारण साबित हो सकती हैं, क्योंकि द्वारका में जर्जर फुटपाथ, सर्विस लेन, पेड़ की झुरमुट आदि आम समस्या है। आए दिन वाहन चालकों के साथ लूटपाट की वारदात होती है, हालांकि डीडीए द्वारा सड़कों पर एलईडी लाइटें लगाने की प्रक्रिया को शुरू जरूर कर दिया है, लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है।

आलम यह है कि बिना किसी जरूरी काम के महिलाएं दिन ढलने के बाद घर से निकलने से बचती हैं। ठीक इसी प्रकार पंखा रोड पर सोडियम लाइटें लगी हुई हैं, जिसके कारण दिन ढलने के बाद यहां पर्याप्त रोशनी नजर नहीं आती हैं। विशेषकर सर्विस लेन में पूरी तरह अंधेरा पसर जाता है। अंधेरे की आड़ में यहां गलत गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। मंगलापुरी में बीते काफी समय से स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। गली-मोहल्लों में भी डार्क स्पाट को चिन्हित करने की रफ्तार बेहद धीमी है। गली-मोहल्ले में पुलिस गश्त न के बराबर है। इस रवैये के चलते कैसे महिलाओं की सुरक्षा चाक-चौबंद होगी?

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