Death Sentence: भारत में कैसे किसी कैदी को दी जाती है फांसी, जानने के लिए पढ़िए यह स्टोरी
Death Sentence फांसी के लिए मुकर्रर समय पर संबंधित कैदी या कैदियों को फांसी के तख्त के पास ले जाया जाता है। जल्लाद कैदी के मुंह पर कपड़ा डालता है और...।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली की कोर्ट द्वारा जारी डेथ वारंट के मुताबिक, निर्भया के चारों गुनहगारों (पवन कुमार गुप्ता, विनय कुमार शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल संख्या-3 में फांसी दी जाएगी। आइये जानते हैं भारत में कैसे किसी कैदी को दी जाती है फांसी?
निर्भया मामले को छोड़ दें तो सामान्य स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद भारत में कैदी को फांसी दे दी जाती है। हां, यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट से भी फांसी की सजा मिलने के बाद भी अगर दया याचिका पर राष्ट्रपति महोदय फैसला नहीं लेते हैं, तो दोषी को फांसी नहीं दी जाती है। वहीं, अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर देते हैं, तो फिर कैदी को फांसी होना तय है।
डेथ वारंट के बाद ही होती है फांसी
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद जरूरी नहीं कि कैदी या कैदियों को फांसी दे दी जाएगी। कई बार इसमें महीने या सालों का भी वक्त लग जाता है। निर्भया मामले में भी ऐसा ही हुआ है। निचली कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के बाद वर्ष 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने चारों कैदियों (विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) को फांसी की सजा सुना दी थी। वहीं, कैदियों ने सालों तक अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ही नहीं किया। फिर जब निर्भया के माता-पिता की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया तो सभी दोषी (कैदी) अपने-अपने कानूनी विकल्प का सहारा लेने लगे।
डेथ वारंट जारी होते ही शुरू हो जाती है फांसी की तैयारी
गौरतलब है कि निर्भया मामले में चौथा वारंट जारी हो चुका है और तिहाड़ जेल में आगामी 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे होने वाली फांसी के मद्देनजर तैयारी तेज हो गई है। बुधवार को तिहाड़ जेल संख्या-3 में मेरठ से आए जल्लाद ने चारों दोषियों की डमी को फांसी पर सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
प्रत्येक राज्य के जेल मैनुअल के हिसाब से होती है फांसी
कोर्ट द्वारा जारी डेथ वारंट के बाद जेल में बंद कैदी अथवा कैदियों को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। संबंधित जेल प्रशासन अपने राज्य के जेल मैनुअल के मुताबिक, फांसी की प्रक्रिया को अंजाम देता है।
दोषियों को 14 दिन पहले बता दिया जाता है फांसी का समय और तारीख
फांसी देने की तैयारी के मद्देनजर जेल प्रशासन द्वारा कैदियों को फांसी के दिन और समय के बारे में विस्तार से बता दिया जाता है। दरअसल, कोर्ट द्वारा Death Warrant जारी होने के बाद ही कैदी को बता दिया जाता है कि उसे फांसी दी जानी वाली है। कानूनी तौर पर फांसी से ठीक 14 दिन पहले कैदी को इसके बारे में बताने का प्रावधान है।
डमी तैयार कर किया जाता है फांसी का ट्रायल
फांसी का दिन और समय तय होने के बाद कैदियों का नाप लिया जाता है, जिससे उसके हिसाब से फांसी देने के समय का कपड़ा तैयार किया जा सके। इसी के साथ दोषियों की लंबाई और वजन के हिसाब से डमी तैयार की जाती है, ताकि उस पर फांसी का ट्रायल किया जा सके। डमी तैयार करने के बाद जेल में बने तख्त पर फांसी का ट्रायल किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि फांसी देने के दौरान किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हो।
कैदियों के वजन पर रखी जाती है खास नजर
फांसी के मद्देजनर जल्लाद ही रस्सी आदि का इंतजाम कर डमी बनाता है और ट्रायल करता है। इसमें वजन बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर दोषियों का वजन घटता या बढ़ता है तो उसी हिसाब से रस्सी का साइज भी तय किया जाता है। ऐसे में कैदी के वजन पर खास नजर रखी जाती है। ऐसे में सुप्रीटेंडेंट, डिप्टी सुप्रीटेंडेंट या फिर मेडिकल अफसर कैदी के खान-पान की रोजाना जांच करते हैं, ताकि वजन पर असर नहीं पड़े।
स्वजनों को मिलता है आखिरी मुलाकात का मौका
कैदियों के साथ उनके परिजनों को भी जेल प्रशासन खत लिखकर फांसी की तारीख और समय के बारे में बताता है। इसका मकसद कैदियों की परिजनों से अंतिम मुलाकात होती है। स्वजन जब चाहें कैदियों से सुविधा और नियमों के अनुसार अंतिम मुलाकात कर सकते हैं।
पढ़िए- देश की सबसे चौंकाने वाली फांसी, फंदे पर लटकने के 2 घंटे बाद भी जिंदा था दोषी