निकिता रोहिल्ला पहले खुद बनीं आत्मनिर्भर, अब दूसरों को कर रहीं अग्रसर
क्रिसमस मेले के दौरान निकिता ने जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट में अपना स्टॉल सजाया था और यहां भी लोगों ने उनके हाथों के स्वाद को काफी सराहा था।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। काफी कम लोग होते हैं जो अपने शौक को अपना भविष्य बनाते हैं। उन्हीं में से एक हैं विकासपुरी निवासी निकिता रोहिल्ला। उन्हें बचपन से र्बेंकग कर पकवान बनाने का काफी शौक था। उन्होंने कड़ी मेहनत कर तरह-तरह के र्बेंकग पकवान बनाने का पहले हुनर हासिल किया और अब इस क्षेत्र में वे इच्छुक महिलाओं को भी आत्मनिर्भर करने की दिशा में प्रयासरत हैं।
आज विकासपुरी में निकिता के हाथों का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलता है। किसी भी शुभ घड़ी में लोग कहीं और जाने के बजाय निकिता की ओर से बनाए केक को खाना अधिक पसंद करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि बाजार में मिलने वाले साधारण केक व पेस्ट्री से निकिता की ओर से तैयार की गई पेस्ट्री का स्वाद काफी अलग है।
क्रिसमस मेले के दौरान निकिता ने जनकपुरी स्थित दिल्ली हाट में अपना स्टॉल सजाया था और यहां भी लोगों ने उनके हाथों के स्वाद को काफी सराहा था। रेनबो केक, जापानीज केक, चीज केक, केक पॉप, कप केक व पारंपरिक क्रिसमस केक निकिता की सबसे खास डिश है। निकिता का मानना है कि महिला सशक्तीकरण के लिए जागरूकता के साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना सबसे अहम है। तभी वे अपने फैसले लेने का हौसला जुटा पाएगी। महिला सशक्तीकरण का संबंध महिलाओं की तरक्की और पुरुष प्रधान समाज में उन्हें बराबरी का स्थान दिलाने से है।
निकिता बताती हैं कि उन्होंने बचपन से मां को र्बेंकग कर तरह- तरह के पकवान बनाते हुए देखा और वहीं से उन्हें र्बेंकग कर पकवान बनाने का शौक जगा। बढ़ती उम्र के साथ उन्होंने इस शौक को अपनी कर्मभूमि बनाने का विचार किया। र्बेंकग में अपना करियर बनाने के लिए निकिता ने पहले होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। इसके बाद फ्रेंच पेस्ट्री और ब्रेड र्मेंकग सीखने के लिए कनाडा गई। वहां से लौटने के बाद इन्होंने रोहिणी में एक बेकरी दुकान पर काम किया। इस दौरान उन्होंने ऐसी महिलाओं को पेस्ट्री और केक बनाने का गुर सिखाया जो आर्थिक रूप से कमजोर थी, पर उनमें सीखने का जज्बा था।
आज उनमें से कई महिलाएं अपना खुद का काम कर रही है। अब निकिता अपने घर से अपना खुद का काम कर रही है और खास बात यह है कि इन्हें देखकर इनके दोस्त व आसपास की कई महिलाएं काफी प्रेरित हुई है। उन्होंने भी र्बेंकग सीखने में अपनी रुचि जाहिर की है। समय मिलने पर निकिता महिलाओं को र्बेंकग सिखाती है। विशेषकर, जब ज्यादा काम होता है तो महिलाओं की मदद भी लेती है, इससे उन्हें व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त होता है। निकिता का कहना है कि उन्हें काफी खुशी है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की चाह रखती हैं। ये महिला सशक्तीकरण की पहली सीढ़ी है। उनकी पूरी कोशिश है कि वे अपने साथ महिलाओं को जोड़कर अपने स्टार्टअप को ऊंचाइयों पर लेकर जाएं और महिलाओं को प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें रोजगार भी दें।