NGT ने कहा- 'आर्ट ऑफ लिविंग' यमुना डूब क्षेत्र को क्षति पहुंचाने का जिम्मेदार
पीठ का कहना था कि संस्था की ओर से जो पांच करोड़ रुपये की राशि जमा की गई थी। उसका इस्तेमाल पुरानी स्थिति में बहाल करने में किया जाएगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पिछले साल विश्व संस्कृति महोत्सव का आयोजन कर यमुना तट को प्रदूषित करने तथा क्षेत्र का पारिस्थितिकी संतुलन बिगाड़ने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग को जिम्मेदार ठहराते हुए उसके द्वारा जमा पांच करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल पर्यावरण को बहाल करने में करने का फैसला सुनाया है।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि आर्ट ऑफ लिविंग पर और जुर्माना लगाने से इन्कार कर दिया।
पीठ का कहना था कि संस्था की ओर से जो पांच करोड़ रुपये की राशि जमा की गई थी। अब उसका इस्तेमाल यमुना डूब क्षेत्र को पुरानी स्थिति में बहाल करने में किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को देखते हुए हम आर्ट ऑफ लिविंग को यमुना डूब क्षेत्र को क्षतिग्रस्त करने का जिम्मेदार ठहराते हैं।
पीठ, जिसमें जस्टिस जावेद रहीम के अलावा विशेषज्ञ सदस्य बीएस साजवान भी शामिल थे, ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के अनुसार यमुना डूब क्षेत्र को हुई क्षति का आकलन करने तथा इसकी बहाली पर आने वाली लागत की गणना करने का निर्देश दिया।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि यदि बहाली का खर्च पांच करोड़ रुपये से अधिक आता है तो उसकी वसूली आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन से की जाए, परंतु यदि लागत इससे कम आती है तो फाउंडेशन को बाकी राशि वापस लौटा दी जाए।
एनजीटी ने ये भी कहा कि भविष्य में यमुना डूब क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी ऐसी गतिविधि के लिए नहीं किया जाना चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो।
ट्रिब्यूनल ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए इस बात का फैसला करने से इन्कार कर दिया कि आर्ट ऑफ लिविंग को उक्त समारोह करने का अधिकार था अथवा नहीं।
बृहस्पतिवार को निर्णय से पहले एनजीटी ने इस बात की घोषणा की कि जस्टिस आरएस राठौर ने स्वयं को सुनवाई से अलग कर लिया है।
निर्णय सुनने के बाद आर्ट आफ लिविंग के वकील ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। वकील ने कहा, 'हम फैसले से सहमत नहीं हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी के निर्णय से निराश है। हमारे पक्ष पर ठीक से विचार नहीं किया गया। हम सुप्रीमकोर्ट में अपील करेंगे। हमें भरोसा है कि सुप्रीमकोर्ट में हमें न्याय मिलेगा।
इससे पहले 13 नवंबर को एनजीटी ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। विशेषज्ञ समिति ने एनजीटी को बताया था कि आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा 11-13 मार्च, 2016 के दौरान आयोजित विश्व सांस्कृति महोत्सव के कारण यमुना डूब क्षेत्र को हुई क्षति की भरपाई तथा पर्यावरण की बहाली के लिए 42.02 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता होगी।
महोत्सव से हुई पर्यावरणीय क्षति को लेकर मनोज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि यमुना तट पर हुए महोत्सव के कारण यमुना के डूब क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों को इसकी बहाली करनी चाहिए।