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भविष्य में पानी के लिए न तरसे राजधानी, समस्या से निपटने के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी

जल बोर्ड की तरफ से एनजीटी में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अभी 1140 एमजीडी (मिलियन गैलन डेली) पानी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 900 एमजीडी पानी ही मिल रहा है।

By Edited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 07:41 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 09:27 PM (IST)
भविष्य में पानी के लिए न तरसे राजधानी, समस्या से निपटने के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी
भविष्य में पानी के लिए न तरसे राजधानी, समस्या से निपटने के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी

नई दिल्ली [जेएनएन]। राजधानी में भविष्य में पानी की समस्या और न हो इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उच्चस्तरीय समिति का गठन कर चार सूत्रीय फार्मूले पर काम करने का निर्देश दिया है। इसमें जलाशयों का संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण उपकरण और दूषित पानी का अन्य कार्यों में उपयोग लाने जैसे उपाय शामिल हैं। यह समिति कार्य योजना तैयार कर उसे लागू कराएगी।

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समिति को पूरा सहयोग दें
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एसपी गर्ग के नेतृत्व में गठित इस समिति को पूरा सहयोग दें। एनजीटी ने समिति को कार्य योजना तैयार करने और इसे लागू कर छह माह तक निगरानी करने को कहा है।

सिर्फ 900 एमजीडी पानी ही मिल रहा है
जल बोर्ड की तरफ से एनजीटी में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अभी 1140 एमजीडी (मिलियन गैलन डेली) पानी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 900 एमजीडी पानी ही मिल रहा है। इसमें से 820 एमजीडी नदियों का पानी और 80 एमजीडी भूजल है। वर्ष 2021 तक दिल्ली में 1380 एमजीडी पानी की जरूरत होगी।

व्यापक प्रबंधन की जरूरत
जल बोर्ड ने रिपोर्ट में बताया कि भविष्य में पानी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए भूजल संरक्षण और इसके इस्तेमाल के लिए व्यापक प्रबंधन की जरूरत है। दिल्ली में मौजूदा जलाशयों व तालाबों का कायाकल्प कर उनके संरक्षण की भी विशेष जरूरत है। 100 मीटर से अधिक के भूखंड पर बने मकान की छत पर वर्षा जल संरक्षण उपकरण लगाने की जरूरत है। दूषित पानी को शोधित कर थर्मल पावर, बागवानी और अन्य विभागों को मुहैया कराया जा रहा है।

दूषित पानी को शोधित कर करें इस्तेमाल 
एनजीटी ने इस मामले में कहा है कि दूषित पानी को शोधित कर यमुना में बहाने के बजाय उसका इस्तेमाल कृषि और अन्य कार्यों में किया जाना चाहिए।


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