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दिल्ली हाईकोर्ट के बाद 16500 पेड़ काटे जाने पर अब एनजीटी ने भी लगाई रोक

एनजीओ के अध्यक्ष अनिल सूद की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कई कॉलोनियों में रिडेवलपमेंट करने के लिए पेड़ों की कटाई वृहद स्तर पर किए जाने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 11:46 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 01:35 PM (IST)
दिल्ली हाईकोर्ट के बाद 16500 पेड़ काटे जाने पर अब एनजीटी ने भी लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट के बाद 16500 पेड़ काटे जाने पर अब एनजीटी ने भी लगाई रोक

नई दिल्ली (जेएनएन)। दक्षिण दिल्ली में 16500 पेड़ काटे जाने के मामले में सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सुनवाई हुई। एनजीटी ने पेड़ काटने के मामले में रोक लगा दी है। दिल्ली हाईकोर्ट के रोक वाले निर्णय को बरकरार रखते हुए एनजीटी ने आवासीय योजना के लिए नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) द्वारा पेड़ काटे जाने के मामले में केंद्र सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनडीएमसी, एसडीएमसी और डीडीए को नोटिस जारी किया। एनजीटी ने एनबीसीसी सहित अन्य एजेंसियों को यथास्थिति बनाए रखने और हाइकोर्ट के आदेश को लागू रखने के आदेश दिए हैं। फैसले के तहत 16, 500 पेड़ों को काटने की जो रोक दिल्ली हाइकोर्ट ने पिछले हफ़्ते लगाई थी, सोमवार को एनजीटी ने उसे बरकरार रखा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी.

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एनजीटी में इस मामले पर सुनवाई पिछले कुछ महीनों से चल रही है, लेकिन एनजीटी ने पेड़ काटने पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई थी। जिसके बाद इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई और हाईकोर्ट में एनबीसीसी ने भरोसा दिलाया कि वह 4 जुलाई तक पेड़ नहीं काटेगा। पेड़ काटने को लेकर काफी विरोध हो रहा है।

दक्षिणी दिल्ली में 16 हजार 500 पेड़ों की कटाई के मामले दायर जनहित याचिका पर पिछले महीने की 25 जून को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की योजना के ख़िलाफ़ रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि एनजीटी में मामले की सुनवाई तक रोक लगी रहेगी। वहीं, सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एनबीसीसी के पेड़ काटने पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि आप आवास बनाने के लिए हजारों पेड़ काटना चाहते हैं और क्या दिल्ली ये अफोर्ड कर सकते हैं।

वहीं, दक्षिण दिल्ली में पेड़ों के काटे जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) आश्वासन दिया है कि वे चार जुलाई तक पेड़ों की कटाई की कार्रवाई नहीं करेंगे।

गौरतलब है कि एनजीओ के अध्यक्ष अनिल सूद की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कई कॉलोनियों में रिडेवलपमेंट करने के लिए पेड़ों की कटाई वृहद स्तर पर किए जाने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा। करीब 20 हजार पेड़ों में से साढ़े 16 हजार पेड़ों को काटे जाने के कारण ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। वातावरण पर इसका अचानक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। रिडेवलपमेंट के नाम पर 32 हजार 835 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस कार्य को पांच वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा।

रिडेवलपमेंट के दौरान 39 लाख वर्ग मीटर बिल्डअप एरिया में टाइप वन से लेकर टाइप फोर यूनिट का निर्माण किया जाएगा। याचिका में उन्होंने बताया है कि सरोजनी नगर से 11 हजार, नारौजी नगर से 1465, नेताजी नगर से 3033 और कस्तूरबा नगर से 520 पेड़ों को काटा जाना है, जबकि इस क्षेत्र में कुल 19 हजार 976 पेड़ हैं।

वहीं, पेड़ काटने के खिलाफ याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले केके शर्मा का कहना है कि दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में ही 20 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में 9 लाख पेड़ों की कमी है। ऐसे में मैं उम्मीद करता हूं कि कोर्ट पेड़ों को काटने पर रोक लगाएगा।

दक्षिण दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई के आदेश दिए जाने के मामले में भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इस मामले में आप (आम आदमी पार्टी) राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आप द्वारा चिपको आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन करने की बातों ने मुङो विचलित किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन की स्वीकृति से उनके विभाग ने केंद्र सरकार की इस योजना के लिए पेड़ कटाई को कानूनी मान्यता दी थी और अब सत्ताधारी दल इस संवेदनशील मामले पर राजनीतिक नौटंकी कर रहा है।

मनोज तिवारी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए आप चिपको आंदोलन जैसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण आंदोलन की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि चिपको आंदोलन एक विशाल क्षेत्र विशेष के हरित क्षेत्र की रक्षा के लिए चलाया गया था और वर्तमान मामले में हरित क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा। 1मनोज तिवारी ने कहा कि एक किसान परिवार से होने के कारण मेरा स्वयं मानना है कि असंभव स्थिति तक पेड़ों की कटाई को टाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों की कॉलोनियों से जुड़ा होने के कारण मैंने इसमें रूचि ली। मनोज तिवारी ने कहा कि पेड़ों को बचाने की हर संभव कोशिश होगी। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही दिल्ली भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय शहरी विकास मंत्री सरदार हरदीप सिंह पुरी से मिलेगा और उनसे अपील की जाएगी कि जहां भी पेड़ों को काटने से बचाया जा सकता है उसे न काटा जाए। 1मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली में जमीन की कमी होने के कारण कार्यालयों एवं कर्मचारियों को आवास के लिए केंद्र सरकार ने यह पुनर्विकास योजना बनाई है। इसी योजना के तहत एक पेड़ काटे जाने पर तीन पौधे लगाए जाएंगे।


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