Move to Jagran APP

जेएनयू देशद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा- मंजूरी नहीं थी तो आरोप पत्र दाखिल करने की जल्दी क्या थी

पुलिस की तरफ से वह वीडियो भी अदालत में पेश किया गया जिसके आधार पर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज किया गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 11:09 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 08:48 AM (IST)
जेएनयू देशद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा- मंजूरी नहीं थी तो आरोप पत्र दाखिल करने की जल्दी क्या थी
जेएनयू देशद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा- मंजूरी नहीं थी तो आरोप पत्र दाखिल करने की जल्दी क्या थी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जेएनयू देशद्रोह मामले में सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। पुलिस की तरफ से अदालत को बताया गया कि अभी तक मुकदमा चलाने की मंजूरी सरकार से नहीं मिली है और इस प्रक्रिया में दो से तीन माह का समय लग सकता है। इस पर अदालत ने पुलिस से पूछा कि जब मंजूरी नहीं मिली थी तो आरोप पत्र दाखिल करने की जल्दी क्या थी? कोर्ट ने मामले की जांच कर रहे डीसीपी से भी जवाब मांगा है।

loksabha election banner

वहीं, पुलिस की तरफ से वह वीडियो भी अदालत में पेश किया गया, जिसके आधार पर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज किया गया है। अदालत ने कहा कि वीडियो देखने के बाद मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी अदालत में मौजूद नहीं रह सके, क्योंकि उनके पैर में चोट लगी है।

गौरतलब है कि 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्ने का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद और इतिहास विषय के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपित बनाया है।

सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं। इसके अलावा आरोप पत्र के कॉलम नंबर 12 में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शेहला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया है। कोर्ट के आदेश पर इन्हें भी आरोपित बनाया जा सकता है। कॉलम नंबर 12 संदिग्धों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं होते हैं।

इससे पहले 27 फरवरी को हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार द्वारा मंजूरी नहीं देने के चलते पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। जांच अधिकारी ने बताया कि अभी तक सरकार से मंजूरी नहीं मिली है। इस पर अदालत ने कहा था कि आपने आरोपपत्र दाखिल करने में तीन साल लगा दिए और अब सरकार भी मंजूरी देने में तीन साल का समय लेगी।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। आरोपित अनिर्बान भट्टाचार्य औैर उमर खालिद ने देशविरोधी नारे लगाए और कन्हैया कुमार ने उनका साथ दिया। 

गौरतलब है कि 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्नों का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद व इतिहास के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपित बनाया था। सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उतर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं।

9 फरवरी, 2016 को आयोजित हुआ था कार्यक्रम

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर दायर 1200 पन्ने के आरोप पत्र में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है। पुलिस ने अदालत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल करते हुए कहा था कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है।

दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरें पढ़ें यहां, बस एक क्लिक पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.