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‘स्मार्ट ट्रैफिक एंगेजमेंट’ से एंबुलेंस को मिलेगा ग्रीन कॉरिडोर

इस सिस्टम की खासियत यह होगी कि सड़क पर निकलने से पहले ही एंबुलेंस को उन रास्तों के बारे में पता चल जाएगा जिन पर यातायात जाम नहीं होता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 03:51 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 03:51 PM (IST)
‘स्मार्ट ट्रैफिक एंगेजमेंट’ से एंबुलेंस को मिलेगा ग्रीन कॉरिडोर
‘स्मार्ट ट्रैफिक एंगेजमेंट’ से एंबुलेंस को मिलेगा ग्रीन कॉरिडोर

फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। सायरन बजाती हुई सड़कों पर सरपट निकलती एंबुलेंस को आम तौर पर रास्ता मिल ही जाता है, लेकिन जब रास्ता जाम पड़ा हो तो उस स्थिति में क्या करें। एंबुलेंस चालक को पहले से तो जाम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से एंबुलेंस में ही मरीज की मौत हो जाती है। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जेसी बोस वाइएमसीए विश्वविद्यालय में अध्ययनरत इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनिर्यंरग के छात्र भारत पंत, हर्ष शर्मा एवं श्रेय अरोड़ा की तिकड़ी ने एंबुलेंस को ग्रीन कॉरिडोर उपलब्ध कराने वाला सिस्टम तैयार किया है, जिसे स्मार्ट ट्रैफिक एंगेजमेंट ऑफ इमरजेंसी व्हीकल्स नाम दिया गया है।

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इस सिस्टम की खासियत यह होगी कि सड़क पर निकलने से पहले ही एंबुलेंस को उन रास्तों के बारे में पता चल जाएगा, जिन पर यातायात जाम नहीं होता है। इसका लाभ उन मरीजों को मिलेगा जिनकी हालत गंभीर होती हैं और उन्हें तत्काल उपचार की जरूरत होती है। खली सड़क की जानकारी पाने के बाद एंबुलेंस द्वारा मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाना आसान हो जाएगा।

मिला पहला स्थान

छात्रों द्वारा तैयार इस प्रोजेक्ट को हाल ही में मानव रचना शैक्षणिक संस्थान में संपन्न अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चुनौती एवं समाधान सम्मेलन में पहला स्थान प्राप्त हुआ था। साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन छात्रों को ढाई लाख रुपये बतौर पुरस्कार दिया था।

चर्चा के दौरान मिला आइडिया

भारत, हर्ष और श्रेय के इस प्रोजेक्ट में मदद करने वाली मेंटर रश्मि चावला कहती हैं कि करीब डेढ़ वर्ष पहले रोटेरियन संदीर्प सिंघल यूनिवर्सिटी में आए थे। उनसे बातचीत के दौरान एंबुलेंस में होने वाली अकाल मौतों पर भी चर्चा हुई थी और वहीं से इस प्रोजेक्ट को बनाने का निर्णय हुआ। काफी रिसर्च के बाद इसको मूर्त रूप देने पर काम शुरू हुआ। इसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भी मदद ली गई है। उन्होंने भी छात्रों का मार्गदर्शन किया।

वीवीआइपी कर सकेंगे इस्तेमाल

मेंटर रश्मि के मुताबिक इस सिस्टम को ना सिर्फ एंबुलेंस, बल्कि वीवीआइपी की गाड़ियों एवं अन्य आवश्यक वाहनों में भी लगाया जा सकता है। मार्केट में उतारने से पहले इसका पेटेंट कराया जाएगा।

एंबुलेंस के लिए रास्ते बनाएगा

हर्ष के अनुसार जीपीएस केवल छोटे-छोटे रास्ते और ट्रैफिक बताता है, लेकिन स्मार्ट ट्रैफिक एंगेजमेंट ऑफ इमरजेंसी व्हीकल्स सेंसर जाम की स्थिति बताने में सहायक है।

यह सेंसर जाम में फंसी एंबुलेंस को ट्रैक करता है तो जाम से निकलने का रास्ता भी बताएगा। इसे अभी और विकसित किया जा रहा है। इसमें ऐसे फीचर दिए जा रहे हैं, जिससे यदि कोई एंबुलेंस के सिग्नल पर पहुंचने से पूर्व ही अचानक लाल बत्ती हो जाती है तो लाल बत्ती स्वत: ही हरी हो जाएगी। इससे एंबुलेंस को रुकना नहीं पड़ेगा।


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