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2020 Delhi Riots: ताहिर हुसैन की न्यायिक हिरासत बढ़ी, उमर खालिद, शरजील इमाम भी फरवरी तक हिरासत में

2020 Delhi Riots ताहिर हुसैन ने कोर्ट से कहा कि आरोपपत्र पढ़ नहीं पाया है क्योंकि जिस कंप्यूटर में आरोपपत्र की कापी है उसपर हमेशा कोई न कोई बैठा रहता है। इसी तरह की शिकायतें दूसरे आरोपितों ने भी की।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 11:18 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 11:42 AM (IST)
2020 Delhi Riots: ताहिर हुसैन की न्यायिक हिरासत बढ़ी, उमर खालिद, शरजील इमाम भी फरवरी तक हिरासत में
दिल्ली दंगे में गिरफ्तार ताहिर हुसैन की फाइल फोटो

पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यू्एपीए) के तहत गिरफ्तार व आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, देवांगना कलिता, इशरत जहां सहित कई आरोपितों की न्यायिक हिरासत कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो फरवरी तक बढ़ा दी है। आरोपितों को जेल में आरोपपत्र की कापी दिए जाने के मामले में मंगलवार को कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। कई आरोपितों ने कहा कि उन्हें आरोपपत्र की प्रति नहीं मिली है इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई दो फरवरी को तय की है।

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ताहिर हुसैन ने कोर्ट से कहा कि आरोपपत्र पढ़ नहीं पाया है, क्योंकि जिस कंप्यूटर में आरोपपत्र की कापी है उसपर हमेशा कोई न कोई बैठा रहता है। इसी तरह की शिकायतें दूसरे आरोपितों ने भी की। 19 जनवरी को सभी आरोपितों की हिरासत अवधि पूरी हो रही थी। बता दें, दंगे में नाम आने के बाद आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन को पार्टी से बाहर कर दिया था।

मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग

वहीं, दंगे के पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने पीड़ितों की तरफ से दायर याचिका पर केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी। दंगा पीड़ितों ने याचिका दायर कर दिल्ली सरकार की सांप्रदायिक ¨हसा पीड़ितों के लिए सहायता योजना के तहत प्रदान की गई 10 लाख रुपये की अंतरिम राशि को बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने की मांग की है। शिव विहार के दंगा पीड़ितों के कई वाहन और दुकानें दंगे में जला दी गई थीं।

कॉल डिटेल सुरक्षित रखने का आदेश

उधर, कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगे के दस आरोपितों की पिछले वर्ष 20 से 28 फरवरी तक की कॉल डिटेल सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं। दंगा आरोपित शादाब आलम ने कोर्ट से कहा था कि मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां केवल एक वर्ष तक ही कॉल डिटेल संभाल कर रखती हैं। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद जांच अधिकारी को आदेश दिए कि दस दिन में जरूरी कदम उठाएं और एक फरवरी को रिपोर्ट दें।

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