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EXCLUSIVE: बरगद से जुड़ा दिल्ली की 11 मौतों का रहस्य, 'उसके' शरीर में आती थी आत्मा

बुराड़ी के संत नगर स्थित एक घर में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में बेहद हैरान करने वाली बात सामने आई है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 08:31 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 12:57 PM (IST)
EXCLUSIVE: बरगद से जुड़ा दिल्ली की 11 मौतों का रहस्य, 'उसके' शरीर में आती थी आत्मा
EXCLUSIVE: बरगद से जुड़ा दिल्ली की 11 मौतों का रहस्य, 'उसके' शरीर में आती थी आत्मा

नई दिल्ली (जेएनएन)। बुराड़ी के संत नगर स्थित एक घर में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में बेहद हैरान करने वाली बात सामने आई है। मरने वालों में शामिल ललित परिजनों से कहता था कि उसके शरीर में पिता की आत्मा आती है। इसके बाद ललित ने सबको विश्वास में लिया। हैरानी की बात है कि ललित ने सबको इस तरह करने के लिए राजी भी कर लिया। 

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'भगवान किसी को मरने नहीं देंगे'
ललित के बताए अनुसार ही शनिवार देर रात घर के सभी सदस्यों ने पहले पूजा अनुष्ठान किया फिर हवन किया था। इसके बाद वट पूजा के लिए बरगद की जटा की तरह दस लोग छत पर लगे लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों के जरिये लटक गए थे। सभी से कहा गया था कि वट पूजा से भगवान के दर्शन होते हैं। बरगद की जटा की तरह लटक कर पूजा करने से किसी की जान नहीं जाएगी। भगवान किसी को मरने नहीं देंगे।

रजिस्टर में लिखा है 'मोक्ष पाना है तो जीवन त्यागो'
क्राइम ब्रांच को मृतकों के घर से मिले कुछ रजिस्टर से इस तरह की जानकारी मिली है। पुलिस को रजिस्टर में अलौकिक शक्तियां, मोक्ष के लिए मौत ही एक द्वार व आत्मा का अध्यात्म से रिश्ता जैसी अजीबोगरीब बातें लिखी मिलीं हैं। रजिस्टर में लिखा हुआ है कि मोक्ष प्राप्त करना है तो जीवन को त्यागना होगा...। जीवन को त्यागने के लिए मौत को गले लगाना होगा। मौत को गले लगाने से कष्ट होगा। कष्ट से छुटकारा पाना है तो आंखें बंद करनी होगी।

भारतीय सेना में थे ललित के पिता
पुलिस का कहना है कि दस साल पहले ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की मृत्यु हो गई थी। वह आर्मी में थे। घोड़े से गिर जाने से उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिससे सेवानिवृत्ति से पूर्व उन्होंने वीआरएस ले लिया था। ललित का परिवार वैसे तो कई पीढ़ियों से काफी धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं। पिता की मृत्यु के बाद उनका सबसे छोटा बेटा ललित कई महीने तक मौन व्रत पर था।

पूजा करने के दौरान 'पिता' बन जाता था ललित
मौन व्रत तोड़ने के बाद उन्होंने दावा किया था कि उनके शरीर में पिता की आत्मा आती है। वह कभी पूजा करने के दौरान पिता बन जाते थे और उनके अनुसार घर के सभी सदस्यों से बात करने लगते थे। घर के सभी सदस्यों को भी यह विश्वास हो गया था कि ललित के शरीर में पिता की आत्मा आती है। इसलिए सभी उनकी बातों को मानने लगे थे।

पांच साल से जारी था रजिस्टर लिखने का सिलसिला
पुलिस को जानकारी मिली है कि ललित 2013 यानी पिछले छह सालों से प्रतिदिन घर में रजिस्टर में सभी सदस्यों के दिनचर्या के बारे में लिख देता था कि किस सदस्य को पूरे दिन से रात तक क्या-क्या करना है। किसे कब जागना है। जागने के बाद किसे क्या करना है। किस तरह के कपड़े पहनने हैं। क्या खाना है। कौन-कौन खाना बनाएंगे। कौन जोत जलाएंगे।

नसीहत न मानने पर दी जाती थी सजा की धमकी
पता चला है कि अगर कोई सदस्य कभी उनके निर्देश का पालन नहीं करता था तो वह पिता की आत्मा आने की ढोंग कर उन्हें नसीहत देते थे और सजा देने की धमकी देते थे। किसे किस दिन कहां सोना है ये बातें भी वही बताते थे। ऐसे में माना जा रहा है कि घर के सभी सदस्य ललित की बातों को मानते थे और उनके द्वारा बताए रास्ते पर ही चलते थे। पुलिस ने जांच के लिए दर्जनों पुराने रजिस्टर भी जब्त कर लिए हैं।

रजिस्टर में लिखी बातों के मुताबिक हुईं मौतें
पुलिस अधिकारी का कहना है कि ग्रिल व रोशनदान के रॉड से लटके मिले सभी दस लोगों को जिस तरह के निर्देश दिए गए थे उसका सभी ने पालन किया था। रजिस्टर में ये लिखी हुई मिली है कि आंखों में पट्टी अच्छे से बांधनी है। पट्टी इस तरह बांधे जिससे शून्य के अलावा कुछ नहीं दिखना चाहिए। बरगद की तरह लटकने के लिए रस्सी के तौर पर सूती साड़ी या चुन्नी का प्रयोग करना है। सात दिनों तक लगातार पूजा करनी है।

'मौत' के लिए दिन था गुरुवार या फिर रविवार
कोई घर में आ जाए तो अगले पूजा का दिन गुरुवार या रविवार को चुनिये। सभी की सोच एक जैसी होनी चाहिए। ऐसा करने से ही तुम्हारे आगे के काम दृढ़ता से शुरू होंगे। आगे लिखा है कि हाथों की पट्टियां बच जाए तो उसे आंखों पर डबल कर लेना, मुंह की पट्टी को भी रूमाल से डबल कर लेना। जितनी दृढृता व श्रद्धा दिखाओगे उतना ही उचित फल मिलेगा।

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