नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में खराब सड़कों के कारण हर साल लाखों हादसे होते हैं और उनमें हजारों की जान चली जाती है। देश के सड़क नेटवर्क में नेशनल हाईवे की हिस्सेदारी महज 2.03 फीसद है, लेकिन उन पर होने वाले हादसों में 35.7 फीसद लोग मारे जाते हैं। स्टेट हाईवे नेटवर्क भी महज 3.01 फीसद है, लेकिन 24.8 फीसद मौतें इन्हीं पर होने वाले हादसों में होती हैं।
ब्लैक स्पॉट : आपके आसपास ऐसी कई जगह होगी जहां अक्सर हादसे होते हैं। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय इन्हें ब्लैक स्पॉट कहता है। वर्ष 2018 में मंत्रालय की तरफ से देशभर में 5,583 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए थे। वर्ष 2019 में मंत्रालय ने इनकी खामियों को दूर करने का काम शुरू किया। हालांकि, अभी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है।
खराब डिजाइनिग : सड़कों की खराब डिजाइनिग भी हादसों की बड़ी वजह है। मोटर वाहन (संशोधन) कानून-2019 में सरकार ने हादसों की इस बड़ी वजह को पहचाना और जिम्मेदार कंपनी या व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान किया।
जर्जर सड़कें : देश में सड़कों की स्थिति सुधरी है। हालांकि, अब भी बड़ी संख्या में सड़कें ऐसी हैं जिन पर गड्ढों का साम्राज्य है। इसके कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं और जानमाल का भारी नुकसान होता है।
संकेतक व दिशा-निर्देश : हादसों पर अंकुश लगाने में सड़क किनारे लगाए जाने वाले संकेतक व दिशा-निर्देश बोर्ड काफी मददगार साबित हो सकते हैं। हालांकि, देश के ज्यादातर हिस्सों में इनका अभाव खलता है। वाहन चलाते वक्त नई जगह पर अचानक अगर तीखा मोड़ आ जाए तो संतुलन रखना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, मोड़ से पहले संकेतक लगा दिए जाएं तो नए वाहन चालक भी सावधान हो जाते हैं और हादसे का खतरा कम हो जाता है।
निर्माण के दौरान लापरवाही : सड़क निर्माण के दौरान लापरवाही भी हादसों की बड़ी वजह के रूप में सामने आई है। डायवर्जन सही नहीं होना, उचित संकेतकों का इस्तेमाल नहीं किया जाना, सामान व मशीनों का बेतरतीब फैलाव आदि भी हादसों के लिए जिम्मेदार हैं।
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