स्पेशल रिपोर्ट: सिग्नेचर ब्रिज के बाद यमुना पर और कितने पुलों की जरूरत, पढ़ें- एक्सपर्ट राय
यातायात के दबाव को कम करने के लिए अधिक से अधिक फ्लाईओवर बनाने की रणनीति ठीक नहीं है। प्रो. पी के सरकार कहते कि मेरा मानना है कि यह यातायात जाम को दूर करने की समस्या का हल नहीं है।
नई दिल्ली,जेएनएन। दिल्ली के बढ़े रहे यातायात के दबाव को कम करने के लिए यमुना पर 20 ब्रिज बनाए जाने की जरूरत है। इन ब्रिजों के बन जाने से राजधानी के लोगों का आवागमन में समय बचेगा। प्रति वर्ष करोड़ों रुपये वाहनों के ईंधन में होने वाला खर्च बचेगा। विशेषज्ञों की मानें तो इस पर विषय पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मगर यमुनापार क्षेत्र की जनता का दुर्भाग्य रहा है कि अभी तक नजरंदाज ही किया जाता रहा है।
यातायात पुलिस ने दिया प्रस्ताव
वजीराबाद में 14 सालों के इंतजार के बाद सिग्नेचर ब्रिज के शुरू हो जाने से अब यह सवाल उठने लगा है कि यमुना पर और अधिक कितने ब्रिज बनाए जा सकते हैं। लोक निर्माण विभाग के अनुसार यमुनापार और दिल्ली के अन्य भागों को जोडऩे के लिए यातायात पुलिस ने उन्हें प्रस्ताव दिया है। उसके अनुसार यमुनापार पर 30 नए ब्रिज की जरूरत बताई है।
हर पांच सौ मीटर पर एक ब्रिज की जरूरत
यातायात पुलिस के अनुसार यमुना पर प्रत्येक पांच सौ मीटर पर एक ब्रिज होना चाहिए। लोक निर्माण विभाग के पूर्व प्रमुख सर्वज्ञ श्रीवास्तव कहते हैं यूरोपियन देशों में एक तरह की व्यवस्था है। दिल्ली में भी दोनों तरफ के लोगों को नजदीक लाने के लिए यमुना पर अधिक से अधिक ब्रिज बनाए जाने की जरूरत है। आज स्थिति यह है कि सभी ब्रिजों पर जाम लग रहा है।
वर्तमान में स्थिति ठीक नहीं
हर ब्रिज पर लग रहा जामआज यदि 500 मीटर पर ब्रिज नहीं बना सकते तो 2 किलोमीटर पर तो बनाना ही होगा। मगर वर्तमान में स्थिति ठीक नहीं है। इस समय यमुना पर दस फ्लाईओवर चालू हैं। जबकि संत नगर बुराड़ी से सभापुर को जोडऩे वाला ब्रिज, जगतपुर से सोनिया विहार को जोडऩे वाला ब्रिज व चंदगीराम अखाड़े से यमुनापार के पुस्ता नंबर तीन को जोडऩे वाला ब्रिज अभी कागजों में ही है।
कई पुल अभी अधर में
बारापुला फेज तीन के तहत बनाया जा रहा फ्लाईओवर भी अभी अधर में है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत आइटीओ के पास बनने वाला फ्लाईओवर अभी कागजों में है। अक्षरधाम से लोधी रोड तक बननेवाली सुरंग सड़क योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी है।
समस्या बहु निकाय के कारण भी आ रही है। दिल्ली में किसी भी योजना को जमीन पर लाना आसान भी नहीं है। जितना समय किसी योजना का निर्माण कार्य पूरा होना में लगता है। इससे अधिक समय योजना बनाने व उसके लिए विभिन्न विभागों से स्वीकृति लेने में लगता है।
समस्या का निवारण बहुत जरूरी
दिल्ली में यातायात की समस्या दूर किया जाना जरूरी है। यमुना पर यदि 20 नए फ्लाईओवर बनाने की बात यातायात पुलिस कहती है तो बनने चाहिए, मगर इसके लिए बड़े स्तर पर अध्ययन कराने की जरूरत है। इससे सही आंकलन का पता चल सके कि कितने लोग प्रतिदिन यमुना को इधर से उधर पास करते हैं।
इसमें कितने लोग दिल्ली के हैं और कितने लोग दिल्ली से बाहर एनसीआर से आते हैं। उनका रास्ता किधर से जाता है। यह भी देखना होगा कि आज यमुना पर तो ब्रिज बना देंगे मगर उसका यातायात आगे कहां से गुजरेगा, आगे जाकर जाम लगेगा। उससे जनता को कहां लाभ मिलेगा।
वह व्यक्ति यमुनापार में जाम में फंसेगा। इसके लिए जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर काम किए जाने की जरूरत है। मैं आठ साल जापान रहा हूं। दूसरे विकसित देशों में भी बहुत समय बिताया है। हम उससे सीख तो ले सकते हैं मगर उसे उनकी तरह से लागू नहीं कर सकते। वहां इतना यातायात नहीं है। जापान मास्को, उत्तरी कोरिया में भी देखा है कि वहां हमारे यहां इतनी भीड़ सड़कों पर नहीं है। हमें अपनी समस्या को ध्यान में रखकर सोचना होगा। तभी हम इसमें सफलता पाएंगे।
प्रो.पी के सरकार
निदेशक-एशियन इंस्टीट्यूट ट्रांसपोर्ट डवलपमेंट
यातायात को बेहतर बनाने के लिए ब्रिज की जरूरत
दिल्ली के यातायात को बेहतर करने के लिए यमुना पर ब्रिज बनाने की जरूरत है। संत नगर बुराड़ी से सभापुर को जोडऩेवाले ब्रिज बनाने के लिए 2012 में प्रस्ताव आया था। उस समय के लोक निर्माण मंत्री राजकुमार चौहान इसे बनाए जाने के पक्ष में थे। क्योंकि, उत्तरी दिल्ली और यमुनापार को जोडऩे के लिए कोई ब्रिज नहीं है। उत्तरी दिल्ली के लोगों को लगभग 15 किलोमीटर चक्कर लगाकर पुराना वजीराबाद ब्रिज या नए बन चुके अब सिग्नेचर ब्रिज से चक्कर लगाकर आना होता है। यदि यह ब्रिज बन जाता तो लोग सीधे यमुनापार को निकल सकते थे।
उस समय समस्या यह आ रही थी कि बुराड़ी की तरफ तो जगह थी, मगर यमुनापार में उत्तर प्रदेश की सीमा में ब्रिज उतर रहा था। इस पर उत्तर प्रदेश ने कहा कि हमारी जमीन पर ब्रिज उतार दीजिए। मगर दिल्ली सरकार राजी नहीं थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि ऐसा करने से दिल्ली के लोगों को टोल देना पड़ेगा। इससे समस्या बढ़ेगी मगर बाद में योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
दिनेश कुमार
पूर्व प्रमुख-लोक निर्माण विभाग
यमुना पर ब्रिजों की स्थिति
- संत नगर बुराड़ी से सभापुर को जोडऩे वाला ब्रिज-योजना ठंडे बस्ते में।
- जगतपुर से सोनिया विहार को जोडऩे वाला ब्रिज-योजना ठंडे बस्ते में।
- पुराना वजीराबाद ब्रिज-अभी चल रहा है।
- सिग्नेचर ब्रिज-बन कर तैयार हो गया है। यातायात शुरू।
- चंदगीराम अखाड़ा से यमुनापार के पुस्ता नंबर तीन को जोडऩे वाला ब्रिज।
- यूधिष्ठिर सेतु-आइएसबीटी-यातायात चल रहा है।
- पुराना लोहा पुल-यातायात चल रहा है।
- गीता कालोनी ब्रिज-यातायात चल रहा है।
- आइटीओ ब्रिज-कम बैराज-यातायाज चल रहा है।
- बारापुला फेज तीन ब्रिज-जमीन के झगड़े को लेकर योजना पर काम रुका है।
- निजामुद्दीन ब्रिज-यातायात चल रहा है।
- दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाई-वे-यातायात चल रहा है।
- कालिंदी कुंज के निकट ओखला ब्रिज-यातायात चल रहा है।
- ओखला बैराज के पास बन ब्रिज-निर्माणाधीन।
शहर में फ्लाईओवर न बनाकर मेट्रो का किया जाए विस्तार
शहर में यातायात के दबाव को कम करने के लिए अधिक से अधिक फ्लाईओवर बनाने की रणनीति ठीक नहीं है। प्रो. पी के सरकार कहते कि मेरा मानना है कि यह यातायात जाम को दूर करने की समस्या का हल नहीं है। दूसरे देशों की तरह मेट्रो का अधिक से अधिक जाल बिछाए जाने की जरूरत है। मेट्रो स्टेशनों से लोगों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाने के लिए फीडर बसें लगाई जाएं। आखिर शहर में आप कितने फ्लाईओवर बनाओगे। एक जगह बनाओगे तो दूसरी जगह जाम लगेगा।