Move to Jagran APP

महिला सुरक्षा के लिए समाज को बदलनी होगी सोच, मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत

अध्ययन में भी यह सामने आया है कि महिला की सुरक्षा अकेले कानून-व्यवस्था को कड़ा करने से संभव नहीं है। यह सामाजिक समस्या है।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 10:37 PM (IST)
महिला सुरक्षा के लिए समाज को बदलनी होगी सोच, मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत
महिला सुरक्षा के लिए समाज को बदलनी होगी सोच, मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली में महिला सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं और अपराध की रोकथाम के उपाए जानने के लिए उपराज्यपाल द्वारा सन 2017 में गठित विशेषज्ञों की टीम ने रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, महिला सुरक्षा के लिए सबसे अधिक समाज को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। इंडियन वूमेन प्रेस क्लब में शुक्रवार को रिपोर्ट पर टीम ने बात की। इस टीम ने दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध सहित शहरीकरण और बुनियादी ढांचे पर कार्य किया और उन कारणों की पहचान कर इसकी रिपोर्ट तैयार की है। अब इस पर तमाम एजेंसियों को काम करना है।

loksabha election banner

सुनिश्चित की जा सकेगी महिला सुरक्षा

इस मौके पर दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (महिला सुरक्षा) संजय बेनिवाल भी उपस्थिति रहे। संजय बेनिवाल ने कहा कि दिल्ली देश का पहला राज्य है जहां इस प्रकार के अध्ययन कराए गए हैं। यदि इसके निष्कर्षों पर बेहतर तरीके से काम होता है तो भविष्य में महिला सुरक्षा और अधिक सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने आकड़े खंगालने के साथ ही गैर सरकारी संगठन, छात्रों, वकील, शिक्षक इत्यादि से बातचीत कर शोध के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।

यह सामाजिक समस्या है

अध्ययन में भी यह सामने आया है कि महिला की सुरक्षा अकेले कानून-व्यवस्था को कड़ा करने से संभव नहीं है। यह सामाजिक समस्या है। इसके लिए समाज की मानसिकता को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि संसाधन तो अपराध रोकने में मदद कर सकता है कि लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी महिलाओं को सुरक्षित माहौल देना है।

अपराध का प्रमुख कारण

विशेषज्ञों ने सन 2010 के एक अध्ययन की मदद ली है। जिसके तहत पांच हजार लोगों के बीच रायशुमारी की गई थी। इसके तहत महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा 70 फीसद दु‌र्व्यवहार की घटनाएं सड़कों पर हुई थीं। दूसरे स्थान पर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था रही थी। पार्क और सार्वजिनक शौचालय में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं। वहीं, सड़कों पर कम प्रकाश, लोगों की कम मौजूदगी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में निगरानी की कमी भी महिला अपराध का प्रमुख कारण बनते हैं।

महिलाओं को मौन तोड़ना होगा 

अध्ययन समूह में संजय बेनिवाल के अलावा प्रोफेसर डॉ कृष्णा मेनन, प्रोफेसर डॉ पामेला सिंगला, डीयू की प्रोफेसर कल्पना विश्वनाथ, मानस फाउंडेशन की प्रबंध निदेशक मोनिका कुमार इत्यादि प्रमुख हैं। रिपोर्ट में दिल्ली में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के अनुभवों को चार अलग-अलग सेटों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वहीं निष्कर्ष में बताया गया है इन सब के अलावा अपराध होने पर महिलाओं को मौन नहीं रहना होगा तभी स्थिति में संतोषप्रद बदलाव संभव है। 

यह भी पढ़ें: दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध में नहीं आ रही कमी, जानें- क्या कहते हैं आंकड़े


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.