'बाप' से परेशान हैं करीब 10 हजार परिवार, विधायक बोले- विस में उठेगा मामला
निवेशकों को ग्रेटर नोएडा जैसी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी व सुविधाओं के सब्जबाग दिखाए गए थे।
फरीदाबाद (बिजेंद्र बंसल)। ग्रेटर फरीदाबाद की 34 ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में रह रहे करीब दस हजार परिवार 'बाप' (बिल्डर,एडमिनिस्ट्रेशन,पॉलिटिशियन) से परेशान हैं। 2005 से 2007 के बीच लोगों ने नए रिहायशी क्षेत्र ग्रेटर फरीदाबाद में उन विज्ञापनों को देखकर यहां निवेश किया था, जिनमें ग्रेटर नोएडा जैसी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी व सुविधाओं के सब्जबाग दिखाए गए थे।
2009 में यहां बीपीटीपी बिल्डर कंपनी द्वारा बनाई गई पहली ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पार्क ग्रेंडुएरा में बसावट शुरू हुई और इसके बाद अब तक बिल्डर तब के निवेश किए पैसे की एवज में लोगों को फ्लैट की पजेशन दे रहे हैं।
यहां रहने वाले ज्यादातर लोग नौकरी-पेशा हैं और उनकी बिल्डर सहित शासन, प्रशासन से अनेक ऐसी शिकायतें हैं, जिनकी सुनवाई किसी स्तर पर नहीं हो रही है।
नवंबर व दिसंबर माह में दैनिक जागरण ने जागरण आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित कर अब तक आठ सोसायटी के लोगों की समस्याएं सुनी हैं। इन समस्याओं को यदि एक वाक्य में कहा जाए तो 'बाप' ने पूरे ग्रेटर फरीदाबाद में रहने वाले करीब दस हजार परिवारों का सुखचैन ही छीन लिया है।
बिल्डर से परेशानी
-सोसायटी में एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) क्षमतानुसार नहीं बनाए गए
-नई आवासीय कॉलोनियों की तरह सीवरेज की गंद खुले में डाली जा रही है
-निर्माण के दौरान लिए बिजली के अस्थायी कनेक्शन को नियमित नहीं कराया
-बिजली के अस्थायी कनेक्शन से लोगों के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण खराब हो रहे हैं
-क्षमता अनुसार लिफ्ट नहीं लगाई
- निर्माण का महज 25 फीसद कंपलीशन लेकर लोगों को फ्लैट की पजेशन दे दी
प्रशासन से परेशानी
-2012 में शुरू किए मास्टर रोड पांच साल बाद भी पूरे नहीं हुए
-पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई जा रही है
-ग्रेफ में स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई हैं।
-फायर स्टेशन और पुलिस थाना नहीं बनाया गया है।
-ग्रेटर फरीदाबाद के प्रत्येक कॉर्नर पर शराब के ठेके बना दिए
-बिल्डर के खिलाफ बिना कोर्ट आदेश कोई कार्रवाई नहीं की जाती
सरकार से परेशानी
-5400 करोड़ रुपये बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) के देने के बाद भी सुविधाएं नहीं दी गई
-ग्रेफ से एकत्र ईडीसी का 2500 करोड़ फरीदाबाद मेट्रो के लिए दिए मगर ग्रेफ को मेट्रो से कनेक्ट नहीं किया
-सार्वजनिक परिवहन सुविधा है नहीं
-ग्रेफ की अलग पहचान नहीं, सोसायटी के लोगों को अपना पता संबंधित गांव का देना पड़ रहा है।
-कोई बड़ा सरकारी अस्पताल, स्कूल या सार्वजनिक मार्केट की व्यवस्था नहीं है।
-ग्रेफ को अलग से डाकघर नहीं दिया गया, लोग गांवों के डाकघर से अपनी डाक लेते हैं।
एसआरएस रेजीडेंसी के सुदेशना चक्रवर्ती का कहना है कि यदि मैं महिलाओं की ग्रेफ में सबसे बड़ी समस्या कहूं तो यहां सुरक्षा को लेकर हमें काफी चिंता रहती है। सारे रास्तों पर अंधेरा रहता है, पुलिस गश्त भी नहीं होती, ऐसे में जब तक बाहर गया परिवार का व्यक्ति वापस नहीं लौटता तब तक चिंता बनी रहती है।
वहीं, विधायक ललित नागर का कहना है कि मैं इस बार राज्य विधानसभा के बजट सत्र में ग्रेटर फरीदाबाद की समस्याओं को उठाऊंगा तथा सार्वजनिक परिवहन से लेकर सुरक्षा व्यवस्था की समस्या के बारे में सरकार से सवाल करूंगा।