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ऑनलाइन क्‍लास करने में अब बच्‍चों को नहीं होगी परेशानी, एनडीएमसी ने बांटे टैबलेट

योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चार अटल आदर्श विद्यालयों से की गई है। इसमें हैवलाक स्क्वायर गोल मार्केट नवयुग स्कूल सरोजिनी नगर और नवयुग स्कूल पेशवा रोड का विद्यालय शामिल हैं। एनडीएमसी के चेयरमैन ने इन स्कूलों के 811 विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 05:49 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 05:49 PM (IST)
ऑनलाइन क्‍लास करने में अब बच्‍चों को नहीं होगी परेशानी, एनडीएमसी ने बांटे टैबलेट
योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चार अटल आदर्श विद्यालयों से की गई है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना संकट के बीच छात्रों की शिक्षा में बाधा नहीं आए इसके लिए नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् (एनडीएमसी) ने छात्रों को टैबलेट देने की योजना शुरू की है। योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चार अटल आदर्श विद्यालयों से की गई है। इसमें हैवलाक स्क्वायर, गोल मार्केट, नवयुग स्कूल, सरोजिनी नगर और नवयुग स्कूल, पेशवा रोड का विद्यालय शामिल हैं। एनडीएमसी के चेयरमैन धर्मेद्र ने इन स्कूलों के 10वीं और 12वीं कक्षा के 811 विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए।

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10 इंच डिस्प्ले और 32 जीबी एक्सपेंडेबल मेमोरी से लैस ये टैबलेट आधुनिक युग की शिक्षा में कारगर साबित होंगे। इससे विद्यार्थी घर बैठे आनलाइन कक्षाओं में शामिल हो सकेंगे। वहीं, मोबाइल डाटा के लिए प्रति छात्र 200 रुपये दिए जाएंगे। छात्रों को आधुनिक तकनीक की शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए टैबलेट वितरित करने के साथ ही बंगाली मार्केट स्थित अटल आर्दश विद्यालय और गोल मार्केट के विद्यालय में अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत की गई है।

सीलिंग से बचाने के लिए लाएं अध्यादेश : डाॅ. नरेंद्र नाथ

इधर, तीन साल पहले केंद्र सरकार ने एक कानून बनाकर दिल्ली में सीलिंग व तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाई थी। इसकी समयसीमा तीन साल की ही थी। 31 दिसंबर को इस कानून की वैद्यता समाप्त हो जाएगी। इसके बाद फिर से इस कानून की जरूरत है। इसके लिए सरकार संसद का शीतकालीन सत्र बुलाकर नया कानून पास करे। यह कहना है दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डाॅ. नरेंद्र नाथ का।

डा. नरेंद्र नाथ ने कहा कि सरकार ऐसे कानून बनाए जिसमें अब तक के अवैध निर्माण को वैध करार दिया जाए। इसके बाद अगर कोई अवैध निर्माण होता है तो उसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। जिसके इलाके में अवैध निर्माण मिले, उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए। तभी अवैध निर्माण रूक सकते हैं। फिलहाल दिल्ली वालों को बचाने के लिए नया कानून जरूरी है।

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