टूरिस्ट बस से घूमना-फिरना होगा सस्ता, खत्म हो रही नेशनल परमिट की बाध्यता
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ट्रक व टैंकर आदि की तर्ज पर अब टूरिस्ट बसों के लिए भी नेशनल परमिट की व्यवस्था लागू करने जा रहा है।
नोएडा (जेएनएन)। घूमने-फिरने का मजा ग्रुप में ही है। अगर ग्रुप बड़ा हो तो लग्जरी बस एक बेहतरीन विकल्प होती हैं। हालांकि लंबी दूरी पर अलग-अलग राज्यों में इन पर लगने वाले परमिट की वजह से बसों का सफर महंगा हो जाता है। केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इसमें बड़ी राहत देने जा रहा है। मंत्रालय ट्रक व टैंकर आदि की तर्ज पर अब टूरिस्ट बसों के लिए भी नेशनल परमिट की व्यवस्था लागू करने जा रहा है।
स्थानीय परिवहन विभाग के अनुसार नवंबर माह से से ट्रकों की तर्ज पर पर्यटक बसों को नेशनल परमिट देने की नई व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय ने पिछले दिनों पर्यटक बसों को नेशनल परमिट देने संबंधी मसौदा जारी किया है।
2015 से चल रहा है प्रयास
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक माह तक सुझाव-शिकायतें मिलने के बाद टूरिस्ट बसों को नेशनल परमिट देने की नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके लिए प्रयास अक्टूबर 2015 से किया जा रहा है। उस समय नेशनल परमिट की दरें सामान्य पर्यटक बस पर 50 हजार से एक लाख, लग्जरी बस पर एक से 1.5 लाख और सुपर लग्जरी बस पर दो लाख रुपये तक की गई थी।
कई राज्यों ने राजस्व की चिंता करते हुए जताई थी आपत्ति
अक्टूबर 2015 में महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों ने बसों के नेशनल परमिट पर आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि प्रति लग्जरी पर्यटक बस से तीन से चार लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। नेशनल परमिट से उनको नुकसान होगा। हालांकि, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इन राज्यों से चर्चा कर इस मामले को सुलझा लिया है।
पूरे देश में परमिट का एक रेट तय
अब नेशनल परमिट की दर सामान्य टूरिस्ट बस पर एक लाख रुपये, लग्जरी टूरिस्ट बस (एसी) पर दो लाख रुपये और सुपर लग्जरी टूरिस्ट बस (एसी) पर तीन लाख रुपये सालाना तय की गई है। यह फैसला राज्यों के परिवहन मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद लिया गया है। अब पूरे देश में परमिट का एक रेट होगा। इससे बस से लंबी दूरी का पर्यटन सस्ता होगा।
बस ऑपरेटरों ने कहा फायदेमंद होगी नई व्यवस्था
बस ऑपरेटरों के संगठनों ने बताया कि सभी राज्यों में अलग-अलग टैक्स है। बगैर सूचना इनमें बढ़ोतरी होती रहती है। ऐसे में बस से पर्यटन बहुत महंगा पड़ता था। कई बस ऑपरेटर परमिटन न होने की वजह से दूसरे राज्यों में जाने से इंकार भी कर देते थे। इससे जहां ट्रांसपोर्टर को नुकसान होता था, वहीं पर्यटकों को भी अच्छी सुविधा नहीं मिल पाती थी। नई व्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी होगी।