Delhi Metro Toilet News: विशेष टायलेट को लेकर घिरा डीएमआरसी, NHRC ने जारी किया नोटिस
संकेतक बोर्ड पर आधे पुरुष व आधी महिला की प्रतीकात्मक तस्वीर लगाने व ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए उभयलिंगी शब्द का इस्तेमाल करने पर डीएमआरसी विवादों में फंस गया है। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को डीएमआरसी को नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) के मेट्रो स्टेशनों पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए बने शौचालयों के संकेतक बोर्ड पर आधे पुरुष व आधी महिला की प्रतीकात्मक तस्वीर लगाने व ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए उभयलिंगी शब्द का इस्तेमाल करने पर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) विवादों में फंस गया है। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को डीएमआरसी को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही शौचालयों के संकेतक बोर्ड से आधे पुरुष व आधी महिला की प्रतीकात्मक तस्वीर व उभयलिंगी शब्द को हटाने का निर्देश दिया है और डीएमआरसी से छह सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
एनएचआरसी ने अपने निर्देश में कहा है कि शौचालयों के बाहर संकेतक बोर्ड पर हिंदी में ट्रांसजेंडर व्यक्ति शब्द का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए और आधा पुरुष व आधी महिला की प्रतीकात्मक तस्वीर को हटाकर टी (T) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। दरअसल, 200 से ज्यादा स्टेशनों पर दिव्यांगों के लिए 347 शौचालय बने हैं। हाल ही में डीएमआरसी ने प्रविधान किया है कि इन शौचालयों का इस्तेमाल ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी कर सकते हैं। इन सभी शौचालयों के संकेत बोर्ड पर बदलाव कर डीएमआरसी को प्रेस विज्ञप्ति जारी करने का भी एनएचआरसी ने निर्देश दिया है। डीएमआरसी इस मामले पर बयान जारी कर पहले अपनी सफाई दे चुका है। डीएमआरसी का कहना है कि संकेत बोर्ड पर जरूरी बदलाव कर दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि DMRC ने पिछले दिनों मेट्रो स्टेशनों पर ट्रांसजेंडर्स (उभयलिंगी) के लिए अलग से शौचालय उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। बयान में DMRC की ओर से यह भी कहा गया था कि दिव्यांगजनों के लिए बने शौचालय का इस्तेमाल उभयलिंगी भी कर सकेंगे। डीएमआरसी की ओर से इस तरह का आदेश भी जारी किया गया था। इसके बाद उभयलिंगी शब्द को लेकर एक गैर सरकारी संगठन ने मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर एतरात किया था। संगठन का तर्क था कि यह शब्द भेदभाव पैदा करता है। इसको पढ़ने के बाद दिव्यांग लोग में एक और हीन भावना घर कर रही है।
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