Delhi News: देश की शिक्षा प्रणाली की पुनर्रचना करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति- डा. राजकुमार रंजन
व्याख्यान का विषय भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों की यात्रा में भारतीय शिक्षा प्रणाली था। उन्होंने बताया कि इग्नू ने विभिन्न कार्यक्रमों की अध्ययन सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की शुरुआत की हैजिससे जो लोग अपनी मातृभाषा में सीखना चाहते हैं उनके लिए शिक्षा सुलभ हो सके।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) देश की शिक्षा प्रणाली की पुनर्रचना करेगी और इसे नया रूप देगी। इससे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त किया जा सकेगा। ये बातें केंद्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री डा. राजकुमार रंजन सिंह ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के संस्थापक कुलपति प्रो. जी राम रेड्डी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कहीं। व्याख्यान का विषय भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों की यात्रा में भारतीय शिक्षा प्रणाली था। उन्होंने बताया कि इग्नू ने विभिन्न कार्यक्रमों की अध्ययन सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की शुरुआत की है जिससे जो लोग अपनी मातृभाषा में सीखना चाहते हैं, उनके लिए शिक्षा सुलभ हो सके। इस तरह क्षेत्रीय भाषाओं के उन्नयन में इग्नू अहम भूमिका निभा रहा है।
डा. रंजन ने आगे कहा कि प्रो. जी. राम रेड्डी देश में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति के रूप में याद किए जाते हैं। यह उनकी दृष्टि है कि यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें 35 लाख छात्र अध्ययनरत हैं और 39 लाख पूर्व छात्र हैं। इग्नू को बधाई देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने अस्तित्व के 36 वर्षों की छोटी अवधि में जबरदस्त प्रगति की है।
दूरस्थ और आनलाइन शिक्षा दोनों में समानता पहुंच, गुणवत्ता और उत्कृष्टता को इग्नू बनाए हुए है। 281 कोर्स व 21 स्कूलों के साथ इग्नू देश और विदेश में लाखों शिक्षार्थियों की आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम रहा है। कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि यह प्रो. रेड्डी का सपना था जिसने देश के वंचित लोगों की सेवा करने में मदद की है।
इनमें कामकाजी, पेशेवर और वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। वे भी विश्वविद्यालय के छात्र हैं। व्याख्यान कार्यक्रम में समकुलपति प्रो. श्रीकांत महापात्र, आयोजक प्रो. सत्यकाम सहित अन्य शिक्षक और शिक्षिकाएं मौजूद रहे।