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राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार 2020 से सम्मानित परीकुल शिखर पर कर रही हैं निस्वार्थ सेवा

केदारनाथ के ऊंचे हिमाल शिखरों पर निस्वार्थ सेवा कर रही 13 वर्षीय परीकुल भारद्वाज की उड़ान हौसलों से भी ऊपर है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 12:25 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 12:25 PM (IST)
राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार 2020 से सम्मानित परीकुल शिखर पर कर रही हैं निस्वार्थ सेवा
राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार 2020 से सम्मानित परीकुल शिखर पर कर रही हैं निस्वार्थ सेवा

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। केदारनाथ के ऊंचे हिमाल शिखरों पर निस्वार्थ सेवा कर रही 13 वर्षीय परीकुल भारद्वाज की उड़ान हौसलों से भी ऊपर है। इतनी कम उम्र में परीकुल ने उच्च शिखरों पर जोखिम उठाकर नेतृत्व और निस्वार्थ सेवा की मिसाल पेश की है। बेहद कठिन इलाके में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सहायता प्रदान करती है परीकुल। ये परीकुल के बुलंद हौसलें ही है जो उन्हे उनके द्वारा किए गए काम के लिए राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया है। राजधानी दिल्ली की रहने वाली परीकुल अभी दिल्ली कैंट स्थित माउंट सेंट मैरी स्कूल में कक्षा नौंवी की छात्रा है। परीकुल बताती है उनके लिए तीर्थयात्रियों की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा करना है।

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45 तीर्थयात्रियों को बचाई जान

परीकुल ने 2 जून 2019 को 14 हजार फीट की ऊचाई पर अचानक बर्फीली हवाओं के चलते हताहत और बीमार

पड़े 45 तीर्थयात्रियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परीकुल ने ऊचाई वाले इलाको में बचाव कार्य

के लिए संयुक्त अभ्यास के तहत सिक्स सिग्मा के साथ आइटीबीपी, एनडीआरएफ, बीएसएफ और वायु सेना से भी प्रशिक्षण लिया है। वो अपने प्रशिक्षण के कठोर दिनों को याद करते हुए बताती है कि एक बार उनको रस्सी

पकड़ कर पहाड़ से नीचे उतरना था। उनको इसमें बहुत डर लग रहा था फिर उनकी मां ने उनसे कहा कि अगर

रस्सी पकड़ कर वो नीचे नहीं उतरी तो वो उन्हें पहाड़ से सीधा धक्का दे देंगी फिर ऊचाई से सारा डर अपने आप

खत्म हो जाएगा। उनकी मां के इतने कहने पर ही उन्होंने पहाड़ से नीचे उतरना शुरु कर दिया। और धीरे- धीरे

उनका पहाड़ों से डर कब प्रेम में बदल गया पता हीं नही चला। ऊंचे पर्वतों पर किसी की जान बचाने हेतु उन्हें

प्रशिक्षण प्राप्त हैं। वे इतनी ऊंचाइयों पर अपनी समाज सेवी गतिविधियों द्वारा समाज हित योगदान देने वाली,

लोगों की जान बचाने के लिए कार्य करने वाली सबसे कम आयु की पहली युवती हैं। उन्होंने समाज के प्रति

असाधारण, साहस, बहादुरी, जुनून, समर्पित सेवा भाव और प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। वे किसी भी वर्ग,

पंथ,धर्म या जाति इत्यादि की परवाह किए बिना उच्च शिखरों पर जोखिमों से भरी होने पर भी अपनी स्वास्थ्य

सेवाएं दे रही हैं। अपने 2017, 2018 और 2019 में लगातार तीन वर्षों से वे अपने ग्रीष्मावकाश के दौरान, हिमालय की ऊंची चोटियों पर निस्वार्थ रूप से प्रतिवर्ष अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान 45 दिनों तक केदारनाथ के दर्शनों के लिए आए तीर्थ यात्रियों की 14000 फीट पर सात डिग्री तापमान में अथक सेवा प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2019 में केदारनाथ यात्रा पर गए थे। वहां पर उन्होंने परीकुल को लोगो की सेवा करते देखा और वो परीकुल के इस जुनून से इस कदर प्रभावित हुए की न सिर्फ परीकुल से आकर मिले बल्कि  उसके बुलंद हौसलों से प्रभावित होकर परीकुल के बारे में सोशल मीडिया पर

ट्वीट भी किया।

माता और पिता ने किया प्रेरित 

परिकुल बताती है कि पहले उनके माता-पिता साल 2009 से लगातार केदारनाथ यात्रा में जा रहे श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सेवाएं देकर मदद करते आए है। लेकिन, साल 2013 में जब परिकुल की गर्मी की छुट्टियां पड़ी तो उनके माता- पिता परीकुल को भी केदारनाथ साथ ले गए। जिसके बाद परिकुल ने खुद आगे बढ़कर श्रद्धालुओं की मदद की। श्रद्धालुओं के प्रति इस कदर सेवा का भाव देखकर परीकुल के माता-पिता ने उन्हें प्रशिक्षण दिलवाया ताकि वो पहाड़ों के मौसम और रास्तों के प्रति खुद को बेहतर तैयार कर पाए। परीकुल के पिता डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि वो बेटी को मिले सम्मान से बेहद खुश है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार एक अच्छे विचार व संस्कार का नतीजा है। बेटी ने पूरे परिवार व देश का मान बढ़ाया है। वे इस कम आयु में ही राष्ट्र के लिए गौरव सिद्घ हुई हैं।


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