Move to Jagran APP

निकाह हलाला को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन, कहा- महिलाओं को मानना ही होगा

बोर्ड ने निकाह हलाला पर कहा कि इसमें कुछ भी बदलाव नहीं हो सकता। इसे चुनौती भी नहीं दी जा सकती है। महिलाओं को इसे मानना ही होगा।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 06:51 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 06:51 AM (IST)
निकाह हलाला को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन, कहा- महिलाओं को मानना ही होगा
निकाह हलाला को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन, कहा- महिलाओं को मानना ही होगा

नई दिल्ली (नेमिष हेमंत)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने निकाह हलाला का समर्थन किया है। बोर्ड ने निकाह हलाला पर कहा कि इसमें कुछ भी बदलाव नहीं हो सकता। इसे चुनौती भी नहीं दी जा सकती है। महिलाओं को इसे मानना ही होगा। यह जानकारी रविवार को दिल्ली में हुई बैठक के बाद सचिव जफरयाब जिलानी ने दी।

loksabha election banner

गौरतलब है कि निकाह हलाला के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट में है। जिलानी ने यह भी कहा कि बोर्ड जल्द ही देश में दस और शरई अदालतें खोलेगा। सोमवार को ऐसी ही एक अदालत की शुरुआत उत्तर प्रदेश के कन्नौज में होगी। इसके अलावा केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, असम, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी शरई अदालतें जल्द खोली जाएंगी। साथ ही दिल्ली में शरई कानून की जानकारी देने वाली कक्षाएं लगाने का भी फैसला किया गया है।

बता दें कि हाल ही में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एलान किया था कि वह देश के हर जिले में शरई अदालत (दारुल कजा) की स्थापना करेगा। इसका मुस्लिम राष्ट्रीय मंच समेत अन्य संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। अब जफरयाब जिलानी ने बताया कि इस वर्ष फरवरी से जून तक देश में तीन और शरई अदालतें गठित हुईं हैं, जबकि दस जगहों का प्रस्ताव आया है। उन्होंने बताया कि इसे लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है कि देश के कानून से इतर अदालतें बनाने की कोशिश हो रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराया है। यह एक साथ तीन तलाक, निकाह हलाला समेत संपत्ति विवाद जैसे मामलों को निपटाएगी। उन्होंने इसे भी अनर्गल बताया कि इसके लिए बोर्ड फंड देगा। शरई अदालतें चलाने की जिम्मेदारी स्थानीय मुस्लिम समुदाय की होती है।

हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं

बैठक में एक साथ तीन तलाक पर कानून बनाने को हस्तक्षेप माना गया और इसके खिलाफ आंदोलन तेज करने की बात कही गई। हलाला पर भी सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड का पक्ष रखने पर जोर दिया गया। तय हुआ कि शाहबानो प्रकरण के वक्त सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड ने जो जवाब दाखिल किया था, उसे नए सिरे से तैयार कर फिर से दाखिल किया जाए। साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधारों के सवाल पर जल्द ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विधि आयोग को जवाब सौंपेगा। बोर्ड ने महिला विंग के जरिये तीन तलाक पर कानून बनाने के फैसले के विरोध को धार देने का फैसला लिया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.