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दिल्ली में मुस्लिमों का मुंह मोड़ना AAP के लिए खतरे की घंटी, फायदे में भाजपा और कांग्रेस

मुस्लिम वोट बैंक अब फिर से कांग्रेस के साथ खड़ा होने लगा है। मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत रहे हैं जो कि आप के उदय के बाद उसके साथ चले गए थे।

By Edited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:33 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 02:27 PM (IST)
दिल्ली में मुस्लिमों का मुंह मोड़ना AAP के लिए खतरे की घंटी, फायदे में भाजपा और कांग्रेस
दिल्ली में मुस्लिमों का मुंह मोड़ना AAP के लिए खतरे की घंटी, फायदे में भाजपा और कांग्रेस

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। लोकसभा चुनाव परिणाम दिल्ली की सियासत के बदल रहे मिजाज की ओर इशारा करता है। जहां भाजपा की जनाधार पहले से भी मजबूत हुआ है। वहीं, कांग्रेस अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने में बहुत हद तक सफल रही है। उसका मजबूत मुस्लिम वोट बैंक भी अब फिर से उसके साथ खड़ा होने लगा है। मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत रहे हैं जो कि आम आदमी पार्टी (आप) के उदय के बाद उसके साथ चले गए थे।

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इस लोकसभा चुनाव में वह फिर से कांग्रेस की ओर लौटे हैं। इसके साथ ही भाजपा का भी मुस्लिमों के बीच जनाधार बढ़ा है। दिल्ली की सियासत में यह बदलाव आप के लिए बड़ी चुनौती है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस की कमान मिलने के बाद से ही आप के सामने अपने वोट बैंक को संभालने की चुनौती खड़ी हो गई थी। इस बात को आप नेतृत्व भी समझ रहा था।

यही कारण है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही आप की ओर से दिल्लीभर में यह पोस्टर लगाए गए थे कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब भाजपा को जिताना है। आप की इस अपील को नजरअंदाज करते हुए बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। यही कारण है कि नौ मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में से किसी में भी आप दूसरे नंबर पर भी नहीं रही।

दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन के क्षेत्र बल्लीमरान सहित मटिया महल, चांदनी चौक और गांधीनगर में उसे दस हजार मत भी नहीं मिले हैं। वहीं, ओखला के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान भी अपने क्षेत्र में पार्टी को बढ़त नहीं दिला सके। मुख्यमंत्री केजरीवाल भी पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान एक साक्षात्कार में आशंका जाहिर की थी कि मुस्लिम वोटर अंतिम समय में कांग्रेस के साथ चले गए। ऐसा क्यों हुआ इसकी पार्टी जांच करेगी। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो मुख्यमंत्री की आशंका बिल्कुल सच साबित हुई और सभी मुस्लिम बहुल क्षेत्र में पार्टी बुरी तरह से पिछड़ गई।

कांग्रेस के साथ ही इस बार भाजपा का प्रदर्शन भी मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा रहा है। नौ में से विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा बढ़त बनाने में सफल रही है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी, बाबरपुर और मुस्तफाबाद तथा पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी पहले स्थान पर रही। अन्य पांच क्षेत्रों में भी उसे पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मत मिले हैं। माना जा रहा है कि तीन तलाक व विकास की वजह से मुस्लिमों खासकर महिलाओं का रुझान भाजपा की ओर बढ़ा है। उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना जैसी नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ मुस्लिमों को भी मिला है।

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