Delhi factory fire: बिना नोटिस दिए दिल्ली नगर निगम करेगा सीलिंग की कार्रवाई
अकेले शाहदरा साउथ जोन में 1072 अवैध फैक्टियां हैं लेकिन जन प्रतिनिधियों के हस्तक्षेप की वजह से उन्हें सील कर पाना मुश्किल हो रहा है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। महज तीन दिन पहले फिल्मिस्तान अग्निकांड में हुई 43 मौतों को लेकर जांच कमेटियां कुछ भी कहें, लेकिन हादसों की रोकथाम को लेकर गंभीरता अभी भी कहीं नजर नहीं आती। आलम यह है कि जो जन प्रतिनिधि घटनास्थल एवं अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों के हितैषी होने का दावा करते हैं, वही अवैध गतिविधियों को संरक्षण भी देते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) भी इन हालातों से परेशान है और जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत अपनी रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक रविवार को हुए हादसे के बाद ईपीसीए अध्यक्ष और मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्य डॉ भूरेलाल ने तीनों नगर निगमों के आला अधिकारियों की एक बैठक बुलाई। इसमें अधिकारियों को दिल्ली के विभिन्न इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों को सील करने के स्पष्ट निर्देश दिए। लेकिन, निगम अधिकारियों ने यह कहकर बेबसी जाहिर की कि जहां भी सीलिंग करने जाते हैं, वहां के विधायक और पार्षद समर्थकों के साथ आ जाते हैं। इस बीच यह भी बताया कि अकेले शाहदरा साउथ जोन में 1,072 अवैध फैक्टियां हैं, लेकिन जन प्रतिनिधियों के हस्तक्षेप की वजह से उन्हें सील कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस पर भूरेलाल ने निगम अधिकारियों से लिखित में रिपोर्ट देने को कहा है।
ईपीसीए के मुताबिक प्रदूषण बढ़ाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती के बाद अब यह फैक्ट्रियां तेजी से दिल्ली के नॉन कन्फर्मिग (रेजिडेंशियल) क्षेत्रो में शिफ्ट हो रही हैं। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में न केवल प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि हादसों की संभावना भी बढ़ गई है। समस्या यह है कि ऐसे क्षेत्रों में चल रही अवैध फैक्टरियों पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पास कार्रवाई का अधिकार नहीं है, जबकि स्थानीय निकाय इन पर कार्रवाई कर नहीं पा रहे हैं। बीते दो -तीन सालों के दौरान कन्फर्मिग एरिया में चल रही फैक्ट्रियों पर काफी सख्ती हुई है। ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो जाने के बाद तो इनकी मुश्किलें और अधिक बढ़ गई हैं। इन औद्योगिक इकाइयों में प्रतिबंधित ईंधन का इस्तेमाल होता है, प्रदूषण कम करने के कोई कदम नहीं उठाए जाते और यह अपना औद्योगिक कचरा भी यहां वहां फेंक देती हैं। डीपीसीसी के अनुसार इन फैक्ट्रियों को वह नोटिस नहीं दे सकते, नगर निगम ही इनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से ऐसा किया नहीं जा रहा है। भूरेलाल ने कहा कि बहुत से आरडब्ल्यूए सदस्य भी उनके पास शिकायतें लेकर आ रहे हैं। हमने डीपीसीसी से बात कर समस्या को जाना है। अब एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और जल्द ही इस मसले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लेकर जाएंगे ताकि इस समस्या से बचा जा सके।
लघु उद्योगों पर हो रही है कार्रवाई : योगेंद्र चांदोलिया
करोल बाग के टैंक रोड पर सीलिंग करने पहुंचे निगम के दस्ते का विरोध करते हुए पूर्व महापौर योगेंद्र चांदोलिया ने कार्रवाई को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यहां पर दो हजार सिलाई मशीनों से कार्य होता है। यह पूरी तरह से घरेलू लघु उद्योग हैं। इसलिए इन लोगों पर सीलिंग की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इन्हें लाइसेंस प्रदान करने का कार्य करना चाहिए। वहीं निगम के एक अधिकारी के मुताबिक घरेलू उद्योग के नियमों का पालन भी इन फैक्ट्रियों में नहीं हो रहा है, इसलिए यहां पर सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
अनाज मंडी अग्निकांड के बाद अब दिल्ली के तीनों नगर निगम बिना नोटिस दिए सीलिंग की कार्रवाई करेंगे। निगमों के अनुसार पिछले माह एनजीटी के आदेशों के तहत रिहायशी इलाकों में चलने वाली इकाइयों को नोटिस देने की जरूरत नहीं हैं। इसलिए अब जोन स्तर पर सीलिंग का प्लान बना बनाया जा रहा है। वहीं कहीं -कहीं सीलिंग की कार्रवाई भी शुरू हो गई है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने दो दिन में विभिन्न इलाकों में करीब 50 फैक्ट्रियां सील की हैं। वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम के करोल बाग जोन के टैंक रोड पर सीलिंग की तैयारी चल रही है। लेकिन, प्रू्व महापौर योगेंद्र चांदोलियां के विरोध के चलते निगम के दस्ते को बैरंग लौटना पड़ा। निगम एक ही ईकाई पर सीलिंग की कार्रवाई कर पाया।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहले हम 48 घंटे का नोटिस देते थे, लेकिन, पिछले माह एनजीटी ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि अब नोटिस देने की जरूरत नहीं है। इसलिए अब जोनल स्तर पर कार्रवाई की योजना बनाई है। साथ ही प्रतिदिन के आधार पर जोनल उपायुक्तों से रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों पर सीलिंग की कार्रवाई के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की है। निगम के अनुसार उनके पास फिलहाल 6 ही लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर थे। लेकिन, सीलिंग का कार्य तेजी से करना है इसलिए दूसरे विभागों के दस अधिकारियों फिलहाल सीलिंग के कार्य में लगाया गया है।