नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Mundka Fire Incident: मुंडका अग्निकांड के पीड़ित मजदूरों और उनके परिवारों के लिए लगातार काम करने वाले वर्किंग पीपल्स कोलीसन (डब्ल्यूपीसी) संस्था ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट साझा की है। संगठन का दावा है कि एक जुलाई 2022 तक किसी भी पीड़ित को मुआवजा नहीं मिला है। सोमवार को कांस्टीट्यूशन क्लब आफ इंडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में संगठन की तरफ से एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें फैक्ट्री मालिक की ओर से कई श्रम कानूनों और फैक्ट्री नियमों का उल्लंघन किया जाना बताया गया।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि ज्यादातर मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन दिया जा रहा था। इसके साथ ही उन्हे ईएसआइसी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी। 13 मई 2022 को दुर्घटना, में कुल 27 मजदूरों की मौत हो गई थी, जिसमें 21 महिलाएं थीं। इसमें 40 मजदूर लापता हो गए थे। डब्ल्यूपीसी की टीम लगातार लापता हुए और मृत मजदूरों को मुआवजा दिलवाने के लिए प्रयासरत है।
दिव्यांग दुष्कर्म पीड़िता की तलाश करने की मांग
पूर्वी दिल्ली से गायब हुई दिव्यांग दुष्कर्म पीड़िता की तलाश करने की मांग को लेकर उसकी 80 वर्षीय दादी ने दिल्ली हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को एक सप्ताह के अंदर किशोरी को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिका को 15 जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया। याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता जीशान इस्कंदारी के माध्यम याचिका दायर करके कहा कि 17 वर्षीय पोती मानसिक रूप से भी पीड़ित है। छह जून के बाद से उसका कुछ पता नहीं है।
सात जून को गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। संदेह है कि कोई व्यक्ति उसे बहला-फुसला कर ले गया हो। तस्करी के अंदेशे से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में डीसीपी के समक्ष दस जून को अनुरोध किया गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। उनकी पोती के साथ वर्ष 2020 में दुष्कर्म भी किया गया था और इस संबंध में मामला भी दर्ज है।