दिल्ली में अब शतक लगाने आ रहा है 'मुगल-ए-आजम', स्वागत नहीं करोगे
थिएटर की परंपरा पर आधारित मुगल-ए-आजम नाटक का 100 वां शो राजधानी में आयोजित होगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। शहंशाह का सख्त मिजाज, एक प्रेमिका की नाजुक अदाएं, मां और मलिका-ए-हिंद की कश्मकश में फंसा एक नरम दिल और मोहब्बत के लिए बगावती हुआ एक बेटा। भाव-भाषा, दृश्य और अभिनय के लिहाज से भारतीय सिनेमा के सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंची फिल्म मुगल-ए-आजम 57 साल बाद आज भी दर्शकों को नई सी लगती है।
इसकी ताजगी का आलम यह है कि जब फिल्मी पर्दे से निकलकर इसके दृश्य रंगमंच के आंगन में उतरे तो लोगों में इसका यही रोमांच बरकरार रहा, बल्कि और भी बढ़ गया। थिएटर की परंपरा पर आधारित मुगल-ए-आजम नाटक का 100 वां शो राजधानी में आयोजित होगा।
राजधानी के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक बार फिर यह कहानी अपना रंग जमाने आ रही है। एक फरवरी से 11 फरवरी तक आयोजित होने वाली इस रंगमंचीय गतिविधि में मुगल-ए-आजम के वे तमाम संवाद जीवंत होंगें जिन पर हॉल में दर्शक देर तक तालियां बजाते रह जाते थे।
यह फिल्म का ही जादू था कि दिल्ली में मुगल-ए-आजम का नाट्य रूपातंरण देखने भीड़ उमड़ पड़ी थी। यह शो लगातार हाउसफुल चला साथ ही कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों के दिलों में एक अलग छाप भी बनाई। दिल्ली में फरवरी का वासंती महीना इस श्रृंखला की 100 वीं कड़ी से गुलजार होगा।
मुगल-ए-आजम नाटक के निर्देशक फिरोज अब्बास खान ने बताया कि दिल्ली में सौंवा शो प्रदर्शित करने की खुशी है। पिछली बार दर्शकों ने नाटक को खूब सराहा था। दिल्ली के बाद निर्माता इस संगीतमय नाटक का विदेश में मंचन करने की योजना बना रहे हैं।
शापूरजी पल्लोनजी द्वारा निर्मित मुगल-ए-आजम के परिधान डिजाइनर मनीष मल्होत्रा द्वारा डिजाइन किए गए हैं। क्रिएटिव एंड स्ट्रैटजिक विजन के दीपेश साल्गिया कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि यह आयोजन देश में अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले म्यूजिकल शो के लिए जगह बनाएगा।
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक भव्य सेट का निर्माण करवाया जा रहा है। टिकटों की आनलाइन बिक्री एक जनवरी से शुरू हो जाएगी।