श्रम विभाग के 20 से ज्यादा अधिकारी हो सकते हैं गिरफ्तार, बख्शा नहींं जाएगा आरोपी
एसीबी चीफ विशेष आयुक्त अरविंद दीप के मुताबिक घोटाले में संलिप्त आरोपी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो उन्हें बख्शा नहींं जाएगा।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। दिल्ली सरकार में श्रम विभाग के अंतर्गत आने वाले कंस्ट्रक्शन लेबर फंड घोटाले की जांच लंबी चलेगी। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने अब तक श्रम विभाग के अनुसार निर्धारित पश्चिम व उत्तर-पश्चिम जिले में ही जांच शुरू की थी, लेकिन सोमवार से जांच का दायरा बढ़ा दिया जाएगा।
20 से अधिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
एसीबी की सात टीमों को बढ़ाकर 9 कर दिया गया है जो सोमवार से सभी जिलों में जाकर जांच करेंगी। सबसे पहले पंजीकृत मजदूरों के फार्मों की बारीकी से जांच की जाएगी। एसीबी श्रम विभाग के राजपत्रित अधिकारियों को नोटिस भेजकर उन्हें सिविल लाइंस स्थित अपने कार्यालय बुलाकर उनसे पूछताछ भी कर रही है। अब तक की जांच में श्रम विभाग के 20 से अधिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिनके खिलाफ सबूत मिलते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा
एसीबी चीफ विशेष आयुक्त अरविंद दीप के मुताबिक घोटाले में संलिप्त आरोपी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो उन्हें बख्शा नहींं जाएगा। एसीबी का कहना है कि दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के फार्मों की जांच करने पर 9 फर्जी पंजीकरण पाए गए हैं। उक्त फार्मों में दर्ज नाम व पते तो सही हैं, लेकिन वे मजदूर नहीं हैं। उनमें कुछ फैक्ट्री मालिक, कोई ऑटो चालक, कोई बुटिक मालिक तो कई आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। इनमें कोई भी दिल्ली सरकार के विभिन्न कंस्ट्रक्शन साइटों पर काम करने वाला मजदूर नहीं है। जिसे वास्तव में कंस्ट्रक्शन लेबर फंड से सुविधाएं मिलनी चाहिए। इस फंड से पंजीकृत मजदूरों को 17 तरह की सुविधाएं देने का प्रावधान है।
मजदूरों के नाम पर फर्जी पंजीकरण
एसीबी को दी शिकायत में सुखबीर शर्मा का कहना है कि 10 लाख से अधिक का कंस्ट्रक्शन करने वालों को दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड को एक फीसद उपकर देना होता है। यह पैसा कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े पंजीकृत मजदूरों के कल्याण कार्य जैसे उनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई, घर में शादियां होने व गर्भवती होने आदि मद में खर्च करना होता है। कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में फिलहाल 2300 करोड़ रुपये जमा है। इनमें 139 करोड़ से ज्यादा रुपये फर्जी मजदूरों के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। कई ट्रेड यूनियनों ने अपने यहां मजदूरों के नाम पर फर्जी पंजीकरण किए।
काफी पैसा शिक्षा विभाग को दे दिया गया
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि श्रम विभाग ने 139 करोड़ रुपये मजदूरों का निकाल कर उसे अपने कैडर बिल्डिंग में लगा दिया। जो पैसा गरीबों को देना चाहिए था वह सरकार के अलग-अलग स्कीमों व अपने अपने कार्यकर्ताओं को आर्थिक मदद देने में खर्च कर दिया गया। काफी पैसा शिक्षा विभाग को दे दिया गया।
दिल्ली सरकार के मौजूदा बोर्ड का गठन है अवैध
सुखबीर शर्मा का आरोप है कि दिल्ली सरकार के मौजूदा बोर्ड का गठन ही अवैध है, क्योंकि बोर्ड के गठन के लिए सरकार एक कमेटी बनाती है फिर केंद्र सरकार उसे हरी झंडी देती है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। पहले तो बोर्ड ही गलत बना दिया गया। बोर्ड में जो सदस्य हैं वे फर्जी हैं। मंत्री खुद चेयरमैन बन गए।
जारी है पूछताछ
एसीबी का कहना है कि फार्मों की जांच कर उसमें दर्ज नामों के आधार पर नोटिस भेज उनसे पूछताछ की जा रही है। साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों को भी नोटिस भेज बुलाकर पूछताछ की जा रही है। श्रम विभाग के अधिकारी ने ही दस्तावेजों की जांच कर पंजीकरण की मंजूरी दी थी। लिहाजा उनसे पूछताछ कर पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने किसी दबाव में ऐसा किया था अथवा अपने काम में लापरवाही बरती थी।
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