वायु प्रदूषित से चिंतित कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा- प्रकृति से खिलवाड़ करना साधु की हत्या करने जैसा
बापू ने कहा की रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसी दास ने नदी को साधु बताया है। उसे प्रदूषित नहीं करना चाहिए। छठ का पर्व अभी गया है। कैसी-कैसी फोटो छपी हैं। कितने झाग और कचरे के बीच महिलाएं खड़ी हैं। कितना हमने प्रदूषित कर दिया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि प्रदूषण और उससे पैदा हो रहीं परेशानियों का बड़ा कारण प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना है। प्रकृति के साथ अकारण छेड़छाड़ करना किसी साधु की हत्या कर देने जैसा है।
सिरी फोर्ट आडिटोरियम में चल रही राम कथा साधु चरित मानस के पांचवें दिन बुधवार को बापू ने कहा कि हर साल दीवाली के बाद उनकी राम कथा बरसों से किसी तीर्थस्थल पर होती आ रही है। इस बार यह कथा दिल्ली में हो रही है, क्योंकि यमुना नदी के कारण वे दिल्ली को भी तीर्थ मानते हैं।
यमुना का प्रदूषण चिंता की बात
बापू ने कहा कि यमुना नदी का प्रदूषण चिंता की बात है। हालांकि, इस क्षेत्र में सरकार बहुत काम कर रही है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। सरकार के साथ ही प्रत्येक उद्योग और प्रत्येक व्यक्ति इसमें भागीदारी करे तभी नदियों को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
नदी का नहीं करना चाहिए प्रदूषित
बापू ने कहा की रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसी दास ने नदी को साधु बताया है। उसे प्रदूषित नहीं करना चाहिए। छठ का पर्व अभी गया है। कैसी-कैसी फोटो छपी हैं। कितने झाग और कचरे के बीच महिलाएं खड़ी हैं। कितना हमने प्रदूषित कर दिया। यह गोस्वामी जी पहले ही लिख गए हैं, लेकिन हम उसका अनुसरण नहीं कर पाए। कोई चीज नई नहीं है। कृष्ण कहते हैं कि यहां कोई नया नहीं कहता। सब परंपरा में आया। कोई कहे कि वह नई बात कह रहे हैं, तो गलत है। सब पहले कहा जा चुका है।
पर्यावरण का प्रश्न पूरी दुनिया को सता रहा
सवाल यह है कि हमने कितना याद रखा और हम कितना भूल गए। बापू ने कहा कि पृथ्वी का हद से ज्यादा खनन और पहाड़ों को अकारण नष्ट करना भी साधु की हत्या है। गोस्वामी जी कहते हैं कि वृक्ष साधु है, इसलिए वृक्ष को अकारण काटना मत। आज पर्यावरण का प्रश्न पूरी दुनिया को सता रहा है, क्योंकि हमने अकारण बहुत वृक्ष काट दिए हैं। अकारण वृक्ष को काटना भी साधु की हत्या है। हिमालय और मैना के घर में कन्या (उमा) के जन्म पर बड़ा उत्सव होने के प्रसंग में बापू ने कहा कि बेटी का जन्म हो तो परिवार के लोगों को पुत्र के होने से भी बड़ा उत्सव मनाना चाहिए।