बंदरों की बढ़ती जनसंख्या नियंत्रित करने को अब इंसानों पर कसेगा शिकंजा
बंदरों से परेशान दिल्ली सरकार ने निकाला रास्ता। लेप्रोस्कोपिक तकनीक से किया जाएगा बंदरों का बंध्याकरण। हाई कोर्ट ने सुझाव देने के लिए बनाई कमेटी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में बढ़ते बंदरों के आतंक को देखते हुए दिल्ली सरकार अब इंसानों पर शिकंजा कसने जा रही है। साथ ही बंदरों के बंध्याकरण का भी फैसला लिया है। बंदरों का लेप्रोस्कोपी तकनीक से बंध्याकरण किया जाएगा। वन विभाग का कहना है कि बंदरों पर नियंत्रण पाने का यही एक रास्ता है। बंदरों के कारण हो रही परेशानी का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चल रहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले में सुझाव देने के लिए एक कमेटी भी बनाई है।
वन विभाग का कहना है कि लोगों से बार-बार बंदरों को भोजन नहीं देने का आग्रह किया जा रहा है, लेकिन लोग नहीं मानते हैं। इसका पालन नहीं करने पर चालान काटने का प्रावधा है। हालांकि पांच साल में एक भी चालान नहीं काटा गया है। अब अभियान चलाकर बंदरों को भोजन देने वालों का चालान काटा जाएगा। अब तक निगम ही बंदरों को पकड़ने के लिए कार्य करता रहा है।
रजोकरी के जिस जंगल में बंदरों को पकड़ कर रखा जा रहा है, वहां जगह नहीं बची है। वन एवं वन्य जीव विभाग अब वैन में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बंदरों का बंध्याकरण करेगा। इसमें ज्यादा चीरफाड़ नहीं होती है। एक वर्ष में 25 हजार बंदरों का बंध्याकरण करने का लक्ष्य रहेगा।
विधानसभा में भी हो चुकी है चर्चा
इस पर गत दिनों विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी बंदरों व कुत्तों की बढ़ती संख्या की समस्या का हल सुझाने के लिए कमेटी गठित की है। विधानसभा के आसपास कुछ लोग रखे गए हैं जो लंगूर की आवाज निकाल कर बंदरों को भगाते हैं।