Move to Jagran APP

सौ करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका खनन माफिया सात साल बाद गिरफ्तार

संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा के मुताबिक प्रदीप पालीवाल उर्फ महेश गुप्ता वसंत विहार का रहने वाला है। जनवरी 2014 में प्रदीप पालीवाल ने शकुंतला नाम की महिला को राजस्थान में ग्रेनाइट खनन के अपने व्यवसाय में 20 करोड़ निवेश करने के लिए प्रेरित किया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 05:02 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 05:02 PM (IST)
सौ करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका खनन माफिया सात साल बाद गिरफ्तार
लुक आउट सर्कुलर जारी हो जाने पर सड़क मार्ग से पजेरो कार से सफर करता था आरोपित।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। सौ करोड़ से अधिक ठगी कर चुके खनन माफिया प्रदीप पालीवाल को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के चार मामलों में वह भगोड़ा घोषित था। सात सालों से विभिन्न राज्याें की पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। इसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी हो जाने पर जांच एजेंसियों से बचने के लिए वह सड़क मार्ग से ही हर जगह अपनी पजेरो कार से सफर करता था और जिम्बाब्वे के नंबर से अपने संपर्क के लोगों को वाटस एप काल करता था।

loksabha election banner

वसंत विहार का है रहने वाला

संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा के मुताबिक प्रदीप पालीवाल उर्फ महेश गुप्ता, वसंत विहार का रहने वाला है। जनवरी, 2014 में प्रदीप पालीवाल ने शकुंतला नाम की महिला को राजस्थान में ग्रेनाइट खनन के अपने व्यवसाय में 20 करोड़ निवेश करने के लिए प्रेरित किया था। उसने आश्वासन दिया था कि इसके बदले वह उन्हें प्रति माह 50 लाख रुपये का भुगतान करेगा।

शिकायत के बाद बदला ठिकाना

विश्वास में आकर महिला ने 20 करोड़ रुपये निवेश कर दिया लेकिन आरोपित द्वारा पैसे नहीं लौटाने पर उन्होंने 2017 में आर्थिक अपराध शाखा में मुकदमा दर्ज करा दिया था। मुकदमा दर्ज होते ही आराेपित दिल्ली छोड़ दिया और कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब में ठिकाना बदल कर रहना शुरू कर दिया।

24 घंटे से ज्यादा एक जगह पर नहीं रुकता था

पुलिस का कहना है कि सात से फरार रहने के दौरान वह कहीं भी 24 घंटे से अधिक समय नहीं बिताता था। अपने संपर्क के लोगों से वह टेलीग्राम काल व जिम्बाब्वे के नंबर से वाटस एप काल के जरिए संपर्क करता था। जांच से पता चला कि वह अपने व्यापारिक सहयोगियों से संपर्क करने के लिए फर्जी पते पर लिए गए नंबरों से वाटस एप काल व टेलीग्राम का उपयोग कर रहा था।

चार टीमें मिल कर तलाश रही थी प्रदीप को

विस्तृत विश्लेषण के बाद चार टीमों को बेंगलुरू, राजस्थान, पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया गया। उसके बाद पार्क होटल, शाहदरा के पास राजस्थान नंबर की सफेद पजेरो से प्रदीप को दबोच लिया गया। कार श्रद्धा जैन के नाम पर पाई गई जो प्रदीप पालीवाल का व्यापारिक सहयोगी है। कार में इसके साथ उसका सहयोगी विनायक भट्ट भी जिसे पकड़ कर सीबीआई को सौंप दिया गया, क्योंकि उसके खिलाफ 2018 में सीबीआइ में मामला दर्ज है।

परिवार से नहीं है अच्छे संबंध

प्रदीप पालीवाल ने 11वीं तक सेंट अंसलान स्कूल, अजमेर से पढ़ाई की है। इसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और अजमेर में अपने पिता के स्टील और लोहे के कारोबार में शामिल हो गया। पिछले 20 वर्षों से वह अजमेर, राजस्थान में ग्रेनाइट खनन और रियल एस्टेट का व्यवसाय कर रहा है। कई तरह के व्यवसाय के बाद उसने कंस्ट्रक्शन का बिजनेस भी शुरू किया था। 2007 में उसने राजस्थान में होलीस्टार इंफ्रा लिमिटेड के नाम से ग्रेनाइट खनन का व्यवसाय भी शुरू किया। उसका अपने परिवार से अच्छे संबंध नहीं है। पिछले आठ साल से वह पत्नी और बेटियों के साथ नहीं रह रहा है। वह अलग-अलग शहरों जैसे बेंगलुरू, अहमदाबाद, जयपुर में किराए पर घर लेकर छिपते रहे। फरार रहने के दाैरान उसके दोस्त विनायक भट्ट ने उसकी सहायता की।

गुरुग्राम में लिया फर्जी लोन

2006 में उसने जाली कागजात की मदद से अपने नाम पर एक एचएसआईडीसी प्लॉट पंजीकृत कराया। उक्त मामले में उसके खिलाफ उद्योग विहार, गुरुग्राम में प्राथमिकी दर्ज की गई। 2015 में उसने एचडीएफसी बैंक के पास पहले ही गिरवी रखी संपत्ति पर 12 करोड़ का लोन लिय। करोलबाग थाने में उक्त मामले में मामला दर्ज है। उक्त मामले को बाद में जांच के लिए ईओडब्ल्यू में ट्रांसफर कर दिया गया था। 2017 में उसने ग्रेनाइट खनन में निवेश के बहाने शकुंतला देवी से 20 करोड़ ठग लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.