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खुद के मकान का मालिक बनने को तैयार नहीं दिल्ली के लाखों लोग, जानिये- चौंकाने वाली वजह

मालिकाना हक के प्रति लोगों की इस बेरुखी की बड़ी वजह पहले लॉकडाउन जबकि अब कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले हैं। इस वक्त हर किसी की प्राथमिकता स्वयं को सुरक्षित रखने की ज्यादा है। एक अन्य वजह मालिकाना हक के एवज में अदा किए जाने वाला शुल्क भी है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 08:54 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 08:54 AM (IST)
खुद के मकान का मालिक बनने को तैयार नहीं दिल्ली के लाखों लोग, जानिये- चौंकाने वाली वजह
दिल्ली विकास प्राधिकरण के फ्लैट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। मकान मालिक कौन नहीं बनना चाहता, खासकर देश की राजधानी दिल्ली में तो हर किसी का यह सपना होता है कि उसका अपना घर हो। देश के कोने-कोन में रह रहे लोगों की चाहत होती है कि उनका दिल्ली में अपना आशियाना है। अब इसे विडंबना ही कहेंगे कि दिल्ली के लाखों लोग अपने ही मकान का मालिक बनने को तैयार नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली की 1,731 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले करीब 40 लाख लोगों की, जिन्हें सरकार इनके मकान का मालिकाना हक देना चाहती है, लेकिन वे लेना ही नहीं चाह रहे।

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केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से 29 अक्टूबर 2019 को पीएम-दिल्ली अनधिकृत कालोनी आवास अधिकार योजना (पीएम-उदय) आरंभ की गई थी। आंकड़ों पर जाएं तो 20 नवंबर 2020 यानी एक वर्ष के बाद इसके अंतर्गत केवल 43,311 लोगों ने ही आवेदन भरा है, जबकि मालिकाना हक पाने वालों की संख्या केवल 2,193 है। हालांकि, पंजीकरण 3,51,688 लोग करवा चुके हैं।

डीडीए अधिकारियों के मुताबिक मालिकाना हक के प्रति लोगों की इस बेरुखी की बड़ी वजह पहले लॉकडाउन, जबकि अब कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले हैं। इस वक्त हर किसी की प्राथमिकता स्वयं को सुरक्षित रखने की ज्यादा है। दूसरी तरफ एक अन्य वजह मालिकाना हक के एवज में अदा किए जाने वाला शुल्क भी है। लोगों का मानना है कि अपने घर के मालिक तो वे हैं ही। ऐसे में सिर्फ सरकारी कागजों पर मालिकाना हक पाने के लिए लाखों रुपये क्यों खर्च किया जाए!

बहरहाल, इस स्कीम पर चूंकि केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी स्वयं निगाह रख रहे हैं। अत: डीडीए भी इसे सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। नगर निगम कार्यालयों के साथ-साथ विभिन्न इलाकों में शिविर लगाकर इस स्कीम के अंतर्गत पंजीकरण और आवेदन की पूरी जानकारी के साथ स्वामित्व अधिकार मिलने के पश्चात अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मिलने वाले फायदों के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है।

डीडीए अधिकारियों के मुताबिक पीएम-उदय योजना की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। इसके लिए डीडीए पोर्टल पर पंजीकरण करना है और स्वामित्व अधिकार के लिए आवेदन भरना है। इसके बाद आवेदक निर्धारित जीआइएस एजेंसियों से संपर्क कर सकते हैं। यदि इसमें कहीं कमियां पाई जाती हैं तो आवेदक को इसकी सूचना ऑनलाइन दी जाएगी और ऑनलाइन ही इसका जवाब मांगा जाएगा। आवेदक तय शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन ही कर सकते हैं। अंतिम चरण की प्रक्रिया के लिए आवेदक को सिर्फ एक बार प्रोसेसिंग सेंटर पर जाना होगा।

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