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नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लाखों लोगों के लिए खुशखबरी, जेवर एयरपोर्ट तक चलेगी मेट्रो

ग्रेटर नोएडा से प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट तक की दूरी 38 किलोमीटर है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 08:04 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 03:13 PM (IST)
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लाखों लोगों के लिए खुशखबरी, जेवर एयरपोर्ट तक चलेगी मेट्रो
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लाखों लोगों के लिए खुशखबरी, जेवर एयरपोर्ट तक चलेगी मेट्रो

नोएडा (जेएनएन) ग्रेटर नोएडा से जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक मेट्रो दौड़ाने के प्रस्ताव पर सोमवार को यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने 62 वीं बैठक में मुहर लगा दी। इसके साथ ही डीएमआरसी से ग्रेटर नोएडा-जेवर के बीच मेट्रो की तकनीकी आर्थिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराने का रास्ता साफ हो गया है।

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बोर्ड ने जेवर हवाई अड्डे की तकनीकी आर्थिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए पीडब्ल्यूसी के चयन पर भी मुहर लगा दी है। हालांकि पीडब्ल्यूसी का चयन दिसंबर में ही हो चुका है, एजेंसी ने सर्वे का काम भी शुरू कर दिया है। ग्रेटर नोएडा से जेवर तक 38 किमी दूर है।

बोर्ड बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए प्राधिकरण चेयरमैन व मेरठ मंडल के कमिश्नर डा. प्रभात कुमार व सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को कनेक्टिविटी देने के लिए ग्रेटर नोएडा से जेवर तक मेट्रो संचालन की योजना है।

पूर्व में डीएमआरसी ने इसके लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया था, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में बसावट शुरू नहीं हुई है, इसलिए रिपोर्ट तैयार करना संभव नहीं है। अब जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को मंजूरी मिलने के बाद यमुना प्राधिकरण ने इस प्रस्ताव को फिर से बस्ते से बाहर निकाल लिया।

डीएमआरसी ने भी अब इस प्रोजेक्ट को फिजिबिल मानते हुए रिपोर्ट तैयार करने पर सहमति दे दी है। प्राधिकरण बोर्ड ने जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को नई दिल्ली हवाई अड्डे से जोड़ने के लिए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम की संभावनाएं तलाशने को मंजूरी दी है।

प्राधिकरण इसके लिए नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) को कार्य सौंपेगा। एनसीआरटीसी दोनों हवाई अड्डों को जोड़ने लिए मेट्रो, एक्सप्रेस वे समेत विभिन्न विकल्पों का अध्ययन कर रिपोर्ट देगी।

प्राधिकरण चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि एनसीआरटीसी कई शहरों में मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण बोर्ड ने जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की तकनीकी आर्थिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराने के लिए पीडब्ल्यूसी के चयन पर भी सहमति दे दी है।

एजेंसी को मार्च तक अपनी सर्वे रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंपनी है। एजेंसी इस रिपोर्ट के साथ हवाई अड्डा क्षेत्र के लोगों पर सामाजिक प्रभाव, पर्यावरण संबंधी सर्वे के अलावा बिड दस्तावेज व मास्टर प्लान भी तैयार करेगी।

एनएचएआइ को 57 हेक्टेयर निशुल्क जमीन

यमुना प्राधिकरण ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को यमुना एक्सप्रेस वे से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 57 हेक्टेयर जमीन निशुल्क देगा। प्राधिकरण बोर्ड ने इस पर सहमति दे दी है। यह जमीन यमुना प्राधिकरण व जेपी को आवंटित है।

जगनपुर अफजलपुर गांव के समीप इस जमीन पर दोनों एक्सप्रेस वे को जोड़ने के लिए इंटरचेंज का निर्माण होगा। हालांकि बोर्ड के फैसले के बाद अगर किसानों की किसी तरह की देनदारी प्राधिकरण पर बनेगी तो इसका भुगतान एनएचएआइ को करना होगा। बोर्ड के इस फैसले से वर्षों से फंसा पेंच दूर हो गया है।

बड़े गोदाम के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नीति स्वीकार

उद्योगों की जरूरत को देखते हुए यमुना प्राधिकरण ने बड़े गोदाम के निर्माण के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नीति को स्वीकार कर लिया। प्राधिकरण बोर्ड के इस फैसले से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में बड़े गोदाम का निर्माण संभव हो जाएगा। प्राधिकरण इसके लिए भूखंड योजना निकाल सकेगा। इसका सीधा फायदा उद्योग, बड़े रिटेल स्टोर, हवाई क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को होगा।

छूट के लिए नहीं जाना होगा प्रदेश सरकार के पास

यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने उत्तर प्रदेश सरकार की इलेक्ट्रानिक्स व आइटी नीति को स्वीकार करने पर सहमति दे दी है। इसके बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक व आइटी इकाई स्थापित करने वालों को वह सभी रियायत मिल जाएगी, जो प्रदेश सरकार उन्हें दे रही है। कंपनियों को रियायत के लिए प्रदेश सरकार के पास आवेदन करने की जरूरत नहीं रह गई है।

भट्टा पारसौल के गांव के किसानों की जमीन वापस होगी

यमुना प्राधिकरण ने भट्टा पारसौल गांव के एक हजार किसानों की डेढ़ सौ हेक्टेयर भूमि को वापस करने का निर्णय लिया है। सोमवार को प्राधिकरण बोर्ड ने इसे हरी झंडी दे दी। किसान अब अपनी जमीन का खुद इस्तेमाल कर सकेंगे। जमीन पर सेक्टर 18 व 20 के करीब 3700 भूखंड लगे हुए थे।

इन्हें अब दूसरे सेक्टरों में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए प्राधिकरण के पास जमीन उपलब्ध है। किसानों को दिए जाने वाले 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजे पर सात फीसद भूखंडों पर रोक लगा दी गई है। जिन किसानों को भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं, उनसे वह वापस लिए जांएगे।

यमुना प्राधिकरण ने 2009 में भट्टा पारसौल गांव की जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके बाद पुलिस और किसानों में खूनी संघर्ष हो गया। इसमें दो किसानों और दो सिपाहियों की मौत हो गई थी। तभी से प्राधिकरण और किसानों के बीच जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद चला आ रहा था।

किसानों ने अभी तक प्राधिकरण को जमीन पर कब्जा नहीं लेने दिया। प्राधिकरण चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार व सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि बोर्ड ने जमीन को न लेने को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।


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