माहवारी का मिथ तोड़ने के लिए सड़क पर आई लड़कियां, विश्व सुंदरी भी पहुंची समर्थन देने
एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर के लिए मार्च में भी विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर शामिल हुईं। इस दौरान छात्राओं ने उनके साथ सेल्फी भी ली।
नई दिल्ली (जेएनएन)। माहवारी को लेकर समाज में जो मिथ व पुरानी अवधारणाएं बनी हुई हैं उसे खत्म करने और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कनॉट प्लेस के इनर सर्किल में पीरियड फेस्ट और पैड यात्रा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें यह बताने का प्रयास किया गया है कि माहवारी महिला के शरीर में होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया है। माहवारी स्वच्छता दिवस के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें स्कूल-कॉलेज की छात्राओं, महिलाओं व युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस मौके पर कनाॅट प्लेस के सेंट्रल पार्क में माहवारी स्वच्छता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर भी पहुंची। इतना ही नहीं, एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर के लिए मार्च में भी विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर शामिल हुईं। इस दौरान छात्राओं ने उनके साथ सेल्फी भी ली।
कार्यक्रम में रविवार को भी लड़कियां अपने साथ 'दाग अच्छे हैं' जैसे कई सामाजिक संदेश देने वाले पोस्टर लेकर पहुंची थीं। कार्यक्रम में कई सारी गतिविधियों का आयोजन भी हुआ।
इसमें 30 से ज्यादा कलाकारों ने पेंटिंग बनाकर माहवारी के समय को महिलाओं के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ बताने का प्रयास किया, वहीं महिलाओं ने विशेषज्ञ डॉक्टर से माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों का समाधान जाना। युवतियां सेनेटरी पैड से संबंधित जानकारी भी लेती हुई दिखीं।
नुक्कड़ नाटक का आयोजन भी हुआ। इस कार्यक्रम में लड़कों ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने माहवारी के मुद्दे पर लड़कियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही। यह कार्यक्रम सच्ची सहेली संस्था और दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से आयोजित हुआ था। पैड यात्रा में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रवाना किया।
इस अवसर पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने कहा कि आज भी देश में करोड़ों ऐसी महिलाएं हैं जिनके पास पैड नहीं होते हैं। माहवारी के दौरान वे कपड़े का प्रयोग करती हैं और उसे धोकर ही इस्तेमाल करती हैं जो ठीक नहीं होता है।
वहीं सच्ची सहेली संस्था की संयोजक डॉ. सुरभि सिंह ने बताया कि समाज में माहवारी को लेकर रूढि़वादी सोच समाज के लोगों में अब भी व्याप्त है, जिसे तोड़ने की आवश्यकता है। लड़कियों को माहवारी के दौरान बाल धोने, दही खाने, रसोई में प्रवेश न करने की मनाही होती है, जो पूरी तरह से गलत है।