Para athletics: हुनर के आगे नहीं आने दी दिव्यांगता, जहां खेला सोना जीतकर निकले
नीरज बताते है कि उन्होंने अपने जीवन का पहला पैरा एथलीट गेम जवाहर लाल स्टेडियम में खेला था अब तक करीब 21 पदक हासिल कर चुके है।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। अगर कोई अपने हुनर को तराशने के लिए मन में दृढ़ निश्चय कर ले, तो वह अपना गुरु स्वयं ही बन जाता है। किसी जमाने में इस बात को एकलव्य ने भी सही प्रमाणित कर दिखाया था। कुछ इसी तरह के कथन को उत्तर पूर्वी दिल्ली के वेस्ट करावल नगर के अंकुर विहार में रहने वाले 26 वर्षीय नीरज गुप्ता ने भी सिद्ध कर दिखाया। वह बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग रहे है, उनका पैर सामान्य व्यक्ति के पैर से छोटा है।
इस कारण वह दौड़ तो दूर की बात है ठीक से चल भी नहीं पाते है। उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। पिछले पांच वर्षो में पैरा कमेटी ऑफ दिल्ली के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं, जहां खेले है वहां से सोना जीतकर निकले है।
जवाहर लाल स्टेडियम में खेला था पैरा एथलीट गेम
नीरज बताते है कि उन्होंने अपने जीवन का पहला पैरा एथलीट गेम जवाहर लाल स्टेडियम में खेला था, अब तक करीब 21 पदक हासिल कर चुके है। उनके लिए पदक जीतना अपने घर वालों को जीवन की सबसे बड़ी खुशी देना है। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते वह रोजाना सुबह घर के पास खाली मैदान में शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए भविष्य के लिए पैरा कमेटी ऑफ दिल्ली के माध्यम से पैरा डिस्कस थ्रो, जेवली थ्रो व शॉर्ट पुट का अभ्यास कर रहे हैं। सुबह दस बजे से लेकर रात आठ बजे तक डॉ. लाल पैथ की नेशनल रेफरेंस लैब में कोरोना मरीजों की जांच के सैंपल लैब तक पहुंचाने का काम करते है।
पता नहीं था पैरा एथलीट के बारे में
नीरज बताते है कि उन्हें पैरा एथलीट के खेलों के बारे में स्कूल तक कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करावल नगर के राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में की है। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद पैरा कमेटी से जुडा और वहीं से पैरा एथलीट खेलों के बारे में बताया। पहली बार उन्होंने 2017 में पैरा जेवली थ्रो रजत पदक हालिस किया। साथ ही हाल ही में छत्तीसगढ़ में आयोजित पैरा एथलीट प्रतियोगिता में लगातार डिस्कस थ्रो (स्वर्ण पदक), जेवली थ्रो (रजत पदक) व शॉर्ट पुट (कास्य पदक) जीतकर दिल्ली के साथ परिवार का नाम रोशन किया।
वहीं माता कमलेश बताती है कि जन्म दो दूसरे दिन अस्पताल में नीरज नर्स के हाथों से छूटकर गिर गया था, जिसके बाद उसके पैरों में गंभीर चोट आई। उपचार के बाद एक एक पैर तो ठीक हो गया लेकिन दूसरे पैर से हमेशा के लिए दिव्यांग हो गया। वर्तमान में उसका एक पैर दूसरे पैर के मुकाबले काफी छूटा है। बचपन में गली में अन्य बच्चों को दौड़ते व खेलते देख काफी मलाल में रहता था लेकिन अपने हुनर के आगे अपनी दिव्यांगता को आने नहीं दिया। पढ़ाई के बाद किसी जानकार के माध्यम से पैरा कमेटी ओफ दिल्ली में दाखिला ले लिया। जहां से प्रशिक्षण लेकर अपने ताकत का लोह मनवा रहा है।
उपलब्धियां
- 2013 में 6वां दिल्ली स्टेट पैरालंपिक में डिस्कस थ्रो (रजत पदक) जेवली थ्रो (स्वर्ण पदक)
- 2013 में साउथ-वेस्ट एथलेटिक्स इवेंट में शॉर्ट पुट (स्वर्ण पदक), डिस्कस थ्रो (स्वर्ण पदक), जेवली थ्रो (रजत पदक)
- 2016 में 9वां दिल्ली स्टेट पैरा एथलेटिक्स में डिस्कस थ्रो व शॉर्ट पुट (कास्य पदक), डिस्कस थ्रो (रजत पदक)
- 2017 में 17 वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जेवली थ्रो (रजत पदक)
- 2018 में 10 वीं दिल्ली स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो (स्वर्ण पदक), जेवली थ्रो (स्वर्ण पदक) व शॉर्ट पुट (स्वर्ण पदक)
- 2018 में 14वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो (रजत पदक), जेवली थ्रो व शॉर्ट पुट (स्वर्ण पदक)
- 2019 में 15वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो (स्वर्ण पदक), जेवली थ्रो (रजत पदक) व शॉर्ट पुट (कास्य पदक)
- 2020 में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप फोर सेरेवल पालसी छत्तीसगढ़ में डिस्कस थ्रो (स्वर्ण पदक), जेवली थ्रो (रजत पदक) व शॉर्ट पुट (कास्य पदक)
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