Swatantrata ke sarthi: कोर्ट में महिलाओं-बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ती हैं परविंदर
परविंदर कौर के पास अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर व्यक्ति मदद मांगने आता है तो उसकी मदद करने में संकोच नहीं करती हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कानूनी दांव-पेंच खेलना किसी भी अधिवक्ता के पेशे का हिस्सा होता है। अदालत में अपने पक्ष को सही साबित करना और न्याय के लिए लड़ना ही उनका पेशेवर धर्म है। वहीं कुछ अधिवक्ता ऐसे भी होते हैं जो अदालत के बाहर भी समाज के कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने के लड़ते हैं। ऐसा ही काम करती हैं वरिष्ठ अधिवक्ता परविंदर कौर।
परविंदर कौर के पास अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर व्यक्ति मदद मांगने आता है, तो उसकी मदद करने में संकोच नहीं करती हैं। वे कई दफा ऐसा कर चुकी हैं, लेकिन हाल ही में उनके पास एक 10 साल का बच्चा कानूनी मदद मांगने आया। बच्चे को किसी ने चोट मारकर उसके कान का पर्दा फाड़ दिया था। परविंदर कौर ने तुरंत बच्चे की तरफ से एक शिकायत लिखकर पुलिस थाने में दर्ज कराने में भी मदद की।
देश में जब तीन तलाक का कानून लागू हुआ है तो उसके कुछ दिन बाद ही दिल्ली के एक थाने में तीन तलाक का आरोप लगाते हुए एक महिला ने मामला दर्ज कराया। यह दिल्ली का पहला केस था और इसके लिए परविंदर कौर ने ही महिला की तरफ से पैरवी की। उन्होंने न सिर्प आरोपित को गिरफ्तार करवाया, बल्कि लंबे समय तक उसकी जमानत भी नहीं होने दी। कौर समय-समय पर विभिन्न संगठनों के आयोजनों में हिस्सा लेकर महिलाओं को जागरूक करने का काम भी करती हैं। उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
परविंदर कौर ने बताया कई बार उन्हें ऐसे भी आमंत्रण आ जाते हैं, जिसमें अवार्ड के बदले पैसों की मांग की जाती है, लेकिन वे ऐसे कार्यक्रम में शरीक होने से साफ इनकार कर देती हैं। उन्हें उनके काम के लिए सम्मान मिले तो अच्छी बात है, लेकिन पैसों के दम पर मिलने वाले अवार्ड लेकर वे किसी को धोखा नहीं देना चाहती है। वकालत उनका पेशा है और उन्हें खुशी होती है जब वे किसी जरूरतमंद के काम आएं।