नींद न आने पर दवाई का सेवन है खतरनाक, पर्याप्त नींद के लिए- पढ़ें ये टिप्स
रात को सोने से पहले चाय, कॉफी या फिर बीड़ी-सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए, यदि संभव हो तो नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
गाजियाबाद [आशुतोष यादव]। काम का तनाव और खर्राटे से न सिर्फ नींद प्रभावित होती है बल्कि कई रोगों को आमंत्रण भी देती है। यदि कम नींद आती है या बहुत अधिक आती है तो दोनों स्थिति खतरनाक होती है। अधिक सोचने से भी अनिद्रा की समस्या बढ़ती है, लेकिन नींद न आने पर दवाई का सेवन और भी खतरनाक है। इस तरह रोग की चपेट में आने वाले पांच से सात मरीज प्रतिदिन मनोचिकित्सक के पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
सुस्ती छाई रहती है
अनिद्रा के लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं। मानसिक तनाव, उलझनें तथा काम के दबाव को लेकर होने वाली परेशानियों के अलावा हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को अनिद्रा की शिकायत ज्यादा होती है। जिन लोगों को लगातार पैरों को हिलाने-डुलाने की आदत होती है, उनके पैरों की मांसपेशियों में हमेशा तनाव और खिंचाव होता रहता है। इस आदत से भी नींद में खलल पहुंचती है। इस बुरी आदत की वजह से दिन भर मरीज जम्हाई लेता रहता है जिससे शरीर में दिनभर सुस्ती छाई रहती है।
इनसे बचें
-रात को सोने से पहले चाय, कॉफी या फिर बीड़ी-सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए, यदि संभव हो तो नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
-शराब भी नींद को बाधित करती हैं। अत: रात को पीने से बचना चाहिए।
-पर्याप्त नींद के लिए इन पर ध्यान दें
-सुबह जागने का समय निश्चित करें और हर रोज उसी समय जागें इससे कोई मतलब न हो कि आप किस समय बिस्तर पर गये।
-दिन में सोने से बचें।
-बेडरूम के वातावरण को सुखद और आरामदेह बनाये रखें। इसके लिए जरूरी है कि इसका इस्तेमाल केवल सोने के लिए ही किया जाय, पढ़ने या दूसरे कामों के लिए नहीं।
-अपने शयनकक्ष को शांत, साफ रखें। अंदर के तापमान भी सामान्य हो, न अधिक ठंडा और न ही गरम।
-नियमित रूप से व्यायाम करें, सोने से दो घंटे पहले व्यायाम न करें।
-बेड पर जाने से पहले तनावरहित होने की कोशिश करें। ज्यादा परेशान हालत में सोने न जायें।
-सोते समय बारबार घड़ी न देखें। इससे नींद न आने की स्थिति में चिंता होने लगेगी और नींद में बाधा उत्पन्न होगी।
खर्राटे लेते हैं तो हो जाएं सावधान
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. आरचंद्रा का कहना है कि स्लीप एप्निया नाम की बीमारी जो खासकर महिलाओं में ज्यादा होती है इसकी वजह से रात को नींद बाधित होती है और मरीज अनिद्रा का शिकार होने लगता है। वे मरीज, जिन्हें श्वसनतंत्र की बीमारी की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है और जो सोते समय तेज खर्राटे भरते हैं, वे स्लीप एप्निया का शिकार ज्यादा होते हैं। कई लोग रात को सोते समय तेज खर्राटे भरते हैं, ऐसा ज्यादातर मोटापा, श्वसनतंत्र की बीमारियां जैसे टांसिल के रोग की वजह से होता है।
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