प्रदूषण : डिवाइस बताएगी कितना पीएम 2.5 सांस लेते समय पहुंचा फेफड़ों में
प्रदूषण के बारे में हो रही स्टडी से यह पता चलेगा कि लोग वाहनों में चल रहे हैं तो उनके फेफड़ों में कितना पीएम 2.5 जा रहा है। दफ्तर में बैठे हैं तब आप पर कितनी स्वच्छ हवा ले रहे।
नई दिल्ली, जेएनएन। पीएम 2.5 जैसे महीन कण आपके फेफड़े में कितना पहुंच रहे है, इसकी एक स्टडी जा रही है। इस स्टडी की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अलग-अलग लोगों को उनके यात्रा करने के दौरान पीएम 2.5 मापने वाली एक छोटी डिवाइस दी जाएगी। इसकी बदौलत यह पता लगाया जा सकेगा कि लोग अगर वाहनों में चल रहे हैं तो उनके फेफड़ों में कितना पीएम 2.5 जा रहा है। अगर वह साइकिल, बस, मेट्रो एवं अपने दफ्तर में बैठे हैं तो कितना पीएम 2.5 जैसे प्रदूषित कण सांस लेते समय उनके फेफड़ों में पहुंच रहे है।
तीन डिवाइस से स्टडी
यह स्टडी दिल्ली विश्वविद्यालय संबद्ध यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, नेशनल एनवायमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, (नीरी) और डीयू के पर्यावरण विभाग एक साथ मिलकर कर रहा है।
12 महीने तक चलेगी स्टडी
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि हम तीन डिवाइस के उपयोग से हर इनकम ग्रुप के लोगों पर यह स्टडी करेंगे। यह स्टडी 12 महीने तक चलेगी। इस डिवाइस को कहीं भी ले जाया जा सकता है।
कैसे लगाएगा पता
डॉ. अरुण शर्मा के अनुसार इस डिवाइस में फिल्टर पेपर लगे हुए हैं। पीएम 2.5 के कण इस फिल्टर पेपर में एकत्रित हो जाएंगे। और उनका वजन किया जाएगा। इसके बाद नीरी की लैब में इसका विश्लेषण किया जाएगा कि पीएम 2.5 में किस प्रकार के कण मौजूद हैं।
उसमें मेटल है या अन्य कण हैं यह भी जानकारी जुटाई जाएगी। हम एक मिनट में औसतन 9 लीटर हवा फेफड़ों के अंदर लेते हैं। क्या है पीएम 2.5 पीएम 2.5 महीन कण होते हैं जो वातावरण में ठोस या तरल रूप में मौजूद होते हैं। सांस लेते ये हमारे फेफड़ों के दाखिल हो जाते हैं।