25 साल में सभी को मिले सकेगी नि:शुल्क बिजली, भारत में हैं असीम संभावनाएं: मसायोशी
भारत में सौर ऊर्जा दुनिया के अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ती है। सौर ऊर्जा के लिए भारत में असीम संभावनाएं हैं।
नोएडा (जेएनएन)। 25 वर्ष में इंटरनेशनल सोलर एलाइंस (आइएसए) देश को नि:शुल्क बिजली उपलब्ध करा सकेगा। इस परियोजना को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा के रूप में संसाधन मौजूद हैं। सौर ऊर्जा तकनीक को उन्नत एवं नवाचार बनाने की दिशा में निवेश हो रहा है। इससे सभी समुदाय को नि:शुल्क व अनिवार्य रूप से बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। यह बातें ग्लोबल लीडरशिप टास्क फोर्स के चेयरमैन मसायोशी सन ने दूसरे ग्लोबल नवीकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मलेन के दौरान इंडिया एक्सपो मार्ट में कहीं।
भारत में हैं असीम संभावनाएं
मसायोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सभी गांवों के घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। यह एक मिशन है, जो केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के 121 देश इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के 2020 के लक्ष्य को पूरा करने में आइएसए भारत के साथ है। भारत में सौर ऊर्जा दुनिया के अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ती है। सौर ऊर्जा के लिए भारत में असीम संभावनाएं हैं। सम्मेलन के दूसरे सत्र में हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ केंद्र शासित राज्य अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अपना रोडमैप सामने रखा।
हर संभव प्रयास करेगी केंद्र सरकार
सम्मेलन में केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन के लिए बड़े स्तर पर कार्य हो रहा है। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद राज्यों के मुख्यमंत्री एवं उद्यमियों को भरोसा दिया कि केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के लिए राज्यों एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। सिंह ने हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को आश्वासन दिया कि हाइड्रो पावर को नवीकरणीय ऊर्जा में शामिल किया जाएगा। कैबिनेट के सामने इसका प्रस्ताव अगले एक माह में रख दिया जाएगा।
भौगोलिक परिस्थितियां कठिन हैं
सम्मेलन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भौगोलिक परिस्थितियां काफी कठिन हैं। सरकारी व निजी क्षेत्र से साढ़े दस हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसे बढ़ाकर 27 हजार मेगावॉट करने का लक्ष्य है। आठ हजार मेगावॉट के 63 प्रोजेक्ट आवंटित हो चुके हैं। ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिए पॉलिसी की जटिलताओं को दूर किया गया है। 25 मेगावॉट तक की परियोजनाओं से बिजली खरीद के लिए बिजली बोर्ड ने समझौता किया है।
वक्त की जरूरत है सोलर ऊर्जा
केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने कहा कि सोलर ऊर्जा की तरफ बढ़ना वक्त की जरूरत है, लेकिन भौगोलिक चुनौती भी है। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र लाहौल स्पीति में एक हजार मेगावॉट सोलर ऊर्जा प्लांट की योजना है। रूफ टॉप से भी सोलर ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
जीवाश्म ईंधन का विकल्प है नवीकरणीय ऊर्जा
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणस्वामी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन का विकल्प नवीकरणीय ऊर्जा है। केंद्र को नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए छोटे राज्यों के अनुकूल पॉलिसी बनानी होगी। अन्यथा सम्मेलन आदि सिर्फ कागजों तक सीमित होकर रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े उद्योगों को पूरी तरह से सहयोग देगी।
सब्सिडी तक दी जा रही है
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा संसाधन मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि दिसंबर 2017 तक प्रदेश में सौर ऊर्जा से दस हजार सात सौ मेगावॉट बिजली उत्पादन था। 6400 मेगावॉट सौर पार्क एवं 4300 रूफ टॉप से सौर ऊर्जा का उत्पादन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा के लिए असीम संभावनाएं हैं। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जमीन पर स्टांप ड्यूटी में छूट से लेकर सब्सिडी तक दी जा रही है। उन्होंने सोलर पैनल आदि के देश में उत्पादन पर जोर देते हुए कहा कि दूर संचार की तरह सौर क्रांति की जरूरत है।
द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति है अलग
सम्मेलन में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी ने कहा कि द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति काफी जटिल है। बिजली की मांग का 75 फीसद हिस्सा डीजल जनरेटरों से पूरा हो रहा है। निजी एवं सरकारी इमारतों पर रूफ टॉप की अनिवार्यता एवं पोर्ट ब्लेयर के पास सौर पार्क स्थापित किया जा रहा है।