जेसीए से बढ़ी आइपीएस की धड़कनें, दिल्ली पुलिस के कई आइपीएस हो सकते हैं इधर से उधर
संभावित तबादले के चलते किसी को दिल्ली से बाहर भेजे जाने का डर सता रहा है तो किसी को दिल्ली में तैनाती का बेसब्री से इंतजार है।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। करीब एक साल बाद पांच अगस्त को गृह मंत्रालय में होने वाली ज्वाइंट कैडर अथॉरिटी (जेसीए) की बैठक ने आइपीएस अफसरों की धड़कनें तेज कर दी हैं। वर्ष 2019 के बाद विरोध-प्रदर्शन, दंगा और फिर कोरोना महामारी के कारण जेसीए की बैठक न होने से आइपीएस बेचैन थे। अब चर्चा है कि दिल्ली पुलिस के कई आइपीएस इधर से उधर हो सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एंड यूनियन टेरेटरी (एजीएमयूटी) कैडर के आइपीएस की नजरें बैठक पर टिकी हैं। किसी को दिल्ली से बाहर भेजे जाने का डर सता रहा है तो किसी को दिल्ली में तैनाती का बेसब्री से इंतजार है। प्रत्येक आइपीएस की दिली तमन्ना होती है कि उसे दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा समय तक तैनाती मिले। इसके लिए चाहे आयुक्त की मान-मनव्वल ही क्यों न करनी पड़े।
सवालों के घेरे में पुलिसकर्मियों का निलंबन
बकरीद पर एक घंटे की देरी से ड्यूटी पर पहुंचे पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। उत्तर-पश्चिमी जिले की डीसीपी विजयंता आर्या द्वारा 36 पुलिसकर्मियों को निलंबित करने से महकमे में नाराजगी है। उत्तर-पश्चिमी जिले के साथ अन्य जिलों के पुलिसकर्मी भी इस आदेश पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिसकर्मियों का दर्द है कि संख्या बल की कमी के कारण उन्हें कोरोना काल में भी कई बार 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी। वे हर मुश्किल वक्त में आगे आकर काम करते हैं। इसका उन्हें अधिक मेहनताना भी नहीं मिलता है। डीसीपी की कार्रवाई का मामला मुख्यालय पहुंच गया है और अब राहत देने को लेकर विचार जारी है। हालांकि अनुशासन पुलिस बल का मूलमंत्र है और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई कर संदेश भी देना होता है। ऐसे में देखा जाए तो कार्रवाई जायज भी है।
फटकार के बाद सख्त हुई चौकसी
स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर लाल किले की सुरक्षा व्यवस्था सुरक्षा एजेंसियों व दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी चुनौती रहती है। कई महीने से इसकी कवायद शुरू हो जाती है। लाल किले के चारों तरफ पुलिसकर्मियों की तैनाती रहने के बावजूद गत दिनों इसके पीछे स्थित पार्क में दिनदहाड़े महिला से दुष्कर्म की घटना से सुरक्षा की पोल खुल गई। जब आला अधिकारियों ने लाल किले की सुरक्षा की कमान संभालने वाले डीसीपी व चौकी प्रभारी राजपाल मीणा को फटकार लगाई तब सभी हरकत में आ गए। अधिकारियों ने लाल किले के चारों तरफ लगातार चे¨कग करनी शुरू कर दी। नतीजतन घटना के अगले दिन अधिकारियों ने पाया कि सुरक्षा में तैनात दिल्ली पुलिस की दूसरी बटालियन के सात पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान सो रहे थे। लापरवाह पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की गई। लगातार दो चूक सामने आने से सबक लेकर आला अधिकारियों ने अब और सर्तकता बढ़ा दी है।
पुलिस आयुक्त के फरमान से पुलिस परेशान
सड़कों पर होने वाले अपराध (स्ट्रीट क्राइम) में झपटमारी ऐसा अपराध है जो महानगर अथवा बड़े शहर की कानून व्यवस्था का पैमाना तय करता है। काफी ज्यादा झपटमारी होने पर कानून व्यवस्था लचर और कम होने पर बेहतर मानी जाती है। दिल्ली में झपटमारी वर्षों से बड़ी समस्या रही है। अतिसुरक्षित नई दिल्ली जिला हो अथवा उत्तर-पूर्वी व दक्षिणी, किसी जगह कोई सुरक्षित नहीं है। पुलिस पहले झपटमारी की घटना को चोरी में दर्ज करती थी। जब केस ही दर्ज नहीं हो रहे थे तो झपटमार पकड़े भी नहीं जा रहे थे। इससे समस्या बढ़ती जा रही थी, लोग परेशान थे। पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने झपटमारी पर झपटमारी में ही केस दर्ज करने का फरमान जारी किया। केस दर्ज होने पर झपटमार पकड़े जाने लगे तो वारदात में कमी आने लगी। कोरोना काल में भी धरपकड़ की कार्रवाई से पुलिस भले परेशान हैं, लेकिन जनता बहुत राहत महसूस कर रही है।