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रोजगार देकर महिलाओं को स्वावलंबी बना रहीं मनीषा, कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आध्या की रसोई नाम से चलाती हैं कैंटीन

आध्या फांउडेशन की अध्यक्ष मनीषा भार्गव कश्यप की कैंटीन में नौ महिलाएं काम करती हैं। कोर्ट परिसर के इतिहास की यह पहली ऐसी स्टाफ कैंटीन है जिसको किसी संस्था की महिलाएं चलाती हैं। इस कैंटीन में ऐसी महिलाओं को रोजगार दिया गया है जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं।

By JagranEdited By: Sonu GuptaPublished: Sun, 25 Sep 2022 10:00 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 10:00 PM (IST)
रोजगार देकर महिलाओं को स्वावलंबी बना रहीं मनीषा, कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आध्या की रसोई नाम से चलाती हैं कैंटीन
रोजगार देकर महिलाओं को स्वावलंबी बना रहीं मनीषा।

निखिल पाठक, पूर्वी दिल्ली। नवरात्र में देवी मां के नौ स्वरूपों की अराधना की जाती है। पहले नवरात्र में मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है और यह देवी दृढ़ता और सशक्तिकरण की परिचायक हैं। महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन का ऐसा ही एक उदाहरण कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आध्या रसोई के नाम से कैंटीन चलाने वाली आध्या फांउडेशन की अध्यक्ष मनीषा भार्गव कश्यप ने पेश किया है। उनकी कैंटीन में नौ महिलाएं काम करती हैं। कोर्ट परिसर के इतिहास की यह पहली ऐसी स्टाफ कैंटीन है, जिसको किसी संस्था की महिलाएं चलाती हैं।

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2017 में हुई थी फाउंडेशन की शुरुआत

मनीषा भार्गव कश्यप ने बताया कि आध्या फाउंडेशन की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी। इस फाउंडेशन का उद्देश्य असहाय व आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की मदद करना है। उन्होंने बताया कि जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार देने के लिए उनकी संस्था बहुत समय से प्रयास कर रही थी। संस्था ने 10 जून 2021 को कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आध्या की रसोई नामक कैंटीन का उद्घाटन तीन महिला न्यायिक अधिकारियों ने किया था। उन्होंने बताया कि कैंटीन में मात्र 55 से 60 रुपए में आपको स्वादिष्ट थाली मिल जाती है। थाली में दो सब्जी, दो रोटी, चावल, सलाद व अचार दिया जाता है। इसके साथ ही रसोई में छोले भटूरे, स्नैक्स, चाय, मैगी आदि प्रकार के पदार्थ भी परोसे जाते हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को दिया गया है रोजगार

इस कैंटीन में ऐसी महिलाओं को रोजगार दिया गया है, जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं। इसमें महिलाएं की खाद्य सामग्री तैयार करती हैं। सफाई से लेकर अन्य कार्य भी महिलाएं करती हैं। मनीषा बताती है कि फाउंडेशन द्वारा इन महिलाओं के स्वास्थ्य का विशेष रूप ध्यान रखा जाता है।

पहले भी इस संस्था से मिल चुका है रोजगार

मनीषा ने बताया कि इस कैंटीन को शुरू करने से पहले कोरोना काल के दौरान उनकी संस्था ने कई महिलाओं को मास्क बनाकर बेचने जैसे रोजगार के अवसर प्रदान किए थे। महामारी के दौरान संस्था में कार्यरत महिलाओं ने लगभग सवा दो लाख मास्क बनाकर बाजार में बेचे थे। उनका कहना है कि महिलाओं को इस प्रकार के अवसर मिलते रहने से उनके भीतर स्वावलंबन की भावन जागृत रहती है और वे समाज में अपनी अलग पहचान बना सकती हैं।

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