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Defamation Case: मनोज तिवारी के खिलाफ जारी हुए समन पर हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

सांसद मनोज तिवारी के अलावा सांसद हंस राज हंस प्रवेश वर्मा विजेंद्र गुप्ता और भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना को राऊज एवेन्यू की विशेष कोर्ट ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की शिकायत पर समन जारी किया था। मनीष सिसोदिया ने 20 जुलाई 2019 को भाजपा नेताओं के खिलाफ याचिका दायर की थी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 07:33 AM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 07:33 AM (IST)
Defamation Case: मनोज तिवारी के खिलाफ जारी हुए समन पर हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
भाजपा सांसद मनोज तिवारी की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भाजपा सांसद मनोज तिवारी व अन्य के खिलाफ निचली अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सोमवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तरफ से समन जारी होने के खिलाफ दायर की गई अर्जी का विरोध किया गया। वहीं तिवारी की तरफ से समन जारी करने की प्रक्रिया को गलत बताया गया। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 दिसंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।

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सांसद मनोज तिवारी के अलावा सांसद हंस राज हंस, प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना को राऊज एवेन्यू की विशेष कोर्ट ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की शिकायत पर समन जारी किया था। मनीष सिसोदिया ने 20 जुलाई 2019 को भाजपा नेताओं के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि भाजपा नेताओं ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की ‌कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार करने का उन पर झूठा आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल की है। निचली अदालत से जारी समन पर रोक लगाने के लिए भाजपा नेताओं ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी।

एनसीआरबी रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर कैदियों की जानकारी की जाएगी शामिल

वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड की रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर कैदियों की संख्या को भी इंगित की जाएगी। केंद्र की तरफ से यह जानकारी एक याचिका के जवाब के तौर पर हाई कोर्ट की दी गई। केंद्र की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि इस संबंध में सभी राज्यों के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है, लिहाजा अब याचिका का कोई महत्व नहीं रह जाता है। केंद्र के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटान कर दिया।

पत्रकार करण त्रिपाठी की तरफ से दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया था कि ट्रांसजेंडर कैदियों की संख्या को आपराधिक रिकॉर्ड की सूची में बताना चाहिए। याची ने मांग की थी कि या तो सरकार वर्तमान रिकॉर्ड में इसको समाहित करे या भविष्य में अपराध से संबंधित जो रिकॉर्ड दिए जाएंगे उसमें शामिल किया जाए।

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