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आयुष्मान भारत योजना में मिली बड़ी खामी, बिहार के मरीज की मौत के बाद खुला मामला

अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बिहार के 17 वर्षीय पंकज को सिर्फ इसलिए बोनमैरो प्रत्यारोपण नहीं हो सका क्योंकि वह इसका लाभार्थी था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:58 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 09:58 PM (IST)
आयुष्मान भारत योजना में मिली बड़ी खामी, बिहार के मरीज की मौत के बाद खुला मामला
आयुष्मान भारत योजना में मिली बड़ी खामी, बिहार के मरीज की मौत के बाद खुला मामला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आयुष्मान भारत योजना से बेशक अब तक लाखों मरीजों का इलाज हो चुका है, लेकिन अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बिहार के 17 वर्षीय पंकज को सिर्फ इसलिए बोनमैरो प्रत्यारोपण नहीं हो सका क्योंकि वह इसका लाभार्थी था। परिजनों ने उसके इलाज के लिए पुस्तैनी जमीन भी बेच दी। फिर भी उसके इलाज का खर्च नहीं जुटा सके। समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण एम्स में पंकज की मौत हो गई। इससे आयुष्मान भारत में एक योजनागत खामी सामने आई है।

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दरअसल, इस योजना के लाभार्थियों को राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) से आर्थिक मदद की व्यवस्था बंद कर दी गई है। यदि उसे आरएएन से आर्थिक मदद मिल जाती तो उसकी जिंदगी बच सकती थी। पंकज के पिता विश्वनाथ ने कहा कि यदि वह आयुष्मान का लाभार्थी नहीं होते तो आरएएन से उन्हें बेटे के इलाज के लिए आर्थिक मदद मिल जाती।

वह मूलरूप से वैशाली जिले के रहने वाले हैं। करीब एक साल से पंकज को अप्लास्टिक एनीमिया की बीमारी थी। बोनमैरो प्रत्यारोपण ही इसका कारगर इलाज है। सामान्य तौर पर बोनमैरो प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त डोनर मिल पाना मुश्किल होता है, लेकिन पंकज के बड़े भाई उसे बैनमैरो दान कर सकते थे। एम्स में डॉक्टरों ने बोनमैरो प्रत्यारोपण के लिए 12 लाख का खर्च बनाकर दिया था। जबकि आयुष्मान भारत योजना से पांच लाख रुपये तक ही इलाज संभव है।

एम्स में अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित आयुष्मान भारत के कई लाभार्थियों का इलाज प्रभावित होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लिहाजा इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। जिसके मद्देनजर कोर्ट ने एम्स को पीड़ितों का इलाज करने का आदेश भी जारी किया है। इस बीच 19 जनवरी की रात पंकज की हालत बिगड़ गई। परिजनों ने उसे एम्स की इंमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन दवा का कोई असर नहीं हुआ और उसी रात उसकी मौत हो गई।

पंकज के पिता विश्वनाथ ने बताया कि मजदूरी करके डेढ़-दो लाख रुपये जमा किया था। इसके अलावा गांव में तीन कट्ठा जमीन भी बेच दी। प्रधानमंत्री राहत कोष से उसे तीन लाख रुपये भी इलाज के लिए मिला था, लेकिन यह उसके इलाज के लिए पर्याप्त नहीं था।

एम्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि यदि योजनागत खामी को पहले दूर कर लिया जाता तो ऐसी घटना नहीं होती। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए। अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित पंकज की मौत के बाद आखिरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) आयुष्मान की नींद खुली है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आरोग्य निधि के नियमों में बदलाव करने के लिए मंत्रलय से सिफारिश करने की बात कही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण व आयुष्मान भारत योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. इंदु भूषण ने ट्वीट कर पंकज की मौत पर खेद व्यक्त किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना में अब तक जिन बीमारियों को कवर नहीं किया गया है उन बीमारियों का राष्ट्रीय आरोग्य निधि से उपचार उपलब्ध कराने की सिफारिश मंत्रलय से की गई है।

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