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Delhi Pollution 2020 : स्वाद के साथ अब प्रदूषण से भी राहत दे रहे दिल्ली के सैकड़ों तंदूर

पूर्वी दिल्ली के मधु विहार में मशहूर तंदूरी चाप के संचालक विनय बताते हैं कि स्वाद पहले जैसा ही रहता है। पहाड़गंज में मशहूर चूरचूर नान रेस्तरां चलाने वाले विनय जैन बताते हैं कि स्वच्छ ईधन से भोजन के स्वाद में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

By Edited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 02:32 PM (IST)
Delhi Pollution 2020 : स्वाद के साथ अब प्रदूषण से भी राहत दे रहे दिल्ली के सैकड़ों तंदूर
24,210 किलो कोयला प्रतिदिन जलना कम हो गया है।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दिल्ली में जो तंदूर प्रदूषण का कारण बनते थे, अब वे प्रदूषण से राहत दे रहे हैं। दरअसल, दिल्ली की नगर निगमों ने प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जहां 1,139 तंदूरों को नष्ट किया है, वहीं 1,282 तंदूरों को एलपीजी या पीएनजी (स्वच्छ ईधन) में तब्दील करा दिया है। इससे निगमों को पीएम-2.5 की मात्रा कम करने में मदद मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि एक तंदूर में औसतन दस किलो कोयला प्रतिदिन जलता है तो 2,421 तंदूरों में प्रतिदिन 24,210 किलो कोयला जलता होगा। इन तंदूरों को स्वच्छ ईधन में बदलने से 24,210 किलो कोयला प्रतिदिन जलना कम हो गया। इससे पीएम-2.5 की मात्रा में प्रतिदिन 125 किलो की गिरावट तो हो ही रही है, साथ ही कई अन्य हानिकारक तत्वों का उत्सर्जन भी कम हुआ है।

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स्वच्छ ईंधन में बदले गए 240 तंदूर

दक्षिणी निगम ने अब तक 697 तंदूरों को स्वच्छ ईधन में तब्दील कराया है और 739 तंदूरों को नष्ट किया है। इसी तरह, उत्तरी निगम ने 345 तंदूरों को स्वच्छ ईंधन में बदल दिया है और 250 तंदूरों को नष्ट किया है। पूर्वी निगम में 240 तंदूरों को स्वच्छ ईंधन में बदला है और 150 तंदूरों को नष्ट किया है।

स्वाद भी वही बरकरार

बहुत सारे रेस्तरां संचालकों को लगता है कि एलपीजी या पीएनजी से चलने वाले तंदूर से जायके में फर्क पड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है। पूर्वी दिल्ली के मधु विहार में मशहूर तंदूरी चाप के संचालक विनय बताते हैं कि स्वाद पहले जैसा ही रहता है। पहाड़गंज में मशहूर चूरचूर नान रेस्तरां चलाने वाले विनय जैन बताते हैं कि स्वच्छ ईधन से भोजन के स्वाद में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

एलपीजी और पीएनजी में बदले तंदूर

जय प्रकाश (महापौर, उत्तरी दिल्ली) का कहना है कि प्रदूषण को कम करने के लिए निगम लगातार प्रयास कर रहा है। हमने तंदूरों को एलपीजी और पीएनजी में बदलवाने का कार्य किया है। इतना ही नहीं, सड़कों पर पानी के छिड़काव से लेकर मैकेनेकिल स्वीपर से हम सड़कों से धूल की सफाई कर रहे हैं। 

डॉ. एसके त्यागी (अपर निदेशक (सेवानिवृत्त), सीपीसीबी) का कहना है कि यदि 24 हजार कोयला आधारित तंदूरों को तोड़ा या स्वच्छ ईधन में बदला गया है तो इससे न सिर्फ पीएम 2.5 में कमी आएगी, बल्कि कोयला जलाने के कारण उत्सर्जित होने वाले आर्गेनिक कार्बन में 25 किलो, एलीमेंटल कार्बन में 37 किलो और ब्लैक कार्बन में 15 किलो की कमी दर्ज की जाएगी। पीएम 2.5 कितना हानिकारक है, यह सभी जानते हैं, लेकिन ऑर्गेनिक कार्बन का उत्सर्जन यदि 25 किलो तक कम होता है तो यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ कैंसरजनित तत्व भी होते हैं। 

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