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दिवाली पर झुलसने वालों के इलाज के लिए अस्पताल तैयार, दुर्घटना होने पर इन जगहों पर जाएं

नियमानुसार लोग सिर्फ सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जला सकते हैं। फिर भी दिवाली के दिन आतिशबाजी व आग में झुलसे लोगों के इलाज के लिए सफदरजंग अस्‍पतालों में तैयारी पूरी कर ली गई है।

By Edited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 10:09 PM (IST)
दिवाली पर झुलसने वालों के इलाज के लिए अस्पताल तैयार, दुर्घटना होने पर इन जगहों पर जाएं
दिवाली पर झुलसने वालों के इलाज के लिए अस्पताल तैयार, दुर्घटना होने पर इन जगहों पर जाएं

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रदूषण के कारण वैसे तो पटाखों पर प्रतिबंध है। नियमानुसार लोग सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जला सकते हैं। फिर भी दिवाली के दिन आतिशबाजी व आग में झुलसे लोगों के इलाज के लिए सफदरजंग, आरएमएल, लोकनायक सहित सात अस्पतालों में विशेष व्यवस्था की गई है। इन अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड खाली रखे गए हैं व आपदा वार्ड को तैयार रखा गया है। ताकि पीड़ितों के अस्पताल पहुंचने पर उन्हें तुरंत इलाज मिल सके।

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बनी नोडल एजेंसी

लोकनायक अस्पताल को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो दिवाली के दिन आतिशबाजी, मोमबत्ती व दीया जलाने के दौरान आग में झुलसे लोगों के इलाज की चिकित्सा व्यवस्था की निगरानी कर रहा है। सफदरजंग अस्पताल में बर्न के इलाज के लिए देश का सबसे बड़ा सेंटर है।

इन अस्‍पतालों में भी है तैयारी

इसके अलावा आरएमएल व लोकनायक अस्पताल में बर्न के लिए अलग वार्ड है। इसलिए इन तीनों अस्पतालों में अधिक बेड आरक्षित रखे गए हैं। सफदरजंग अस्पताल के बर्न सेंटर के प्रमुख डॉ. शलभ कुमार ने कहा कि दिवाली पर आपात स्थिति के लिए 30 बेड आरक्षित रखे गए हैं। इसके अलावा ड्रेसिंग टेबल एक से बढ़ाकर चार कर दिए गए हैं। साथ ही बर्न इमरजेंसी में जहां पीड़ित सबसे पहले पहुंचते हैं। वहां भी टेबलों की संख्या बढ़ा दी गई।

बेड रखे गए हैं आरक्षित

इसी तरह आरएमएल व लोकनायक अस्पताल में भी बेड आरक्षित रखे गए हैं। इसके अलावा जीटीबी, डीडीयू, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कलावती शरण अस्पताल व सुचेता कृपलानी अस्पताल में भी इलाज की व्यवस्था की गई है। सैकड़ों लोगों के झुलसने की होती हैं घटनाएं दिवाली में हर साल दिल्ली में आतिशबाजी के दौरान 500-600 लोगों के झुलसने की घटनाएं होती हैं। सफदरजंग, आरएमएल व लोकनायक अस्पताल में अधिक मरीज भर्ती किए जाते हैं। यही वजह है कि अस्पतालों में विशेष व्यवस्था की गई है। यह देखा गया है कि आतिशबाजी में कई बार आंखे भी चोटिल हो जाती हैं। इसलिए एम्स के आरपी सेंटर की इमरजेंसी में अतिरिक्त डॉक्टर व नर्सिंग कर्मचारी मौजूद रहेंगे।

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