दिल्ली में शराब के ठेके बेशक प्राइवेट होंगे, मगर खुद तय नही कर सकेंगे दाम
Delhi Liquor Price 60 फीसद सरकारी दुकानों के सापेक्ष में दिल्ली सरकार को 40 फीसद प्राइवेट दुकानों से ज्यादा राजस्व आ रहा है। इस सब के बीच अब नई नीति की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू होने के बाद शराब की बिक्री पूरी तरह से निजी हाथों में होगी, मगर शराब के दाम निर्धारित करने का अधिकार आबकारी आयुक्त के पास रहेगा। इससे पहले हरियाणा की तर्ज पर शराब के ठेकेदारों को ही शराब के दाम निर्धारित करने की बात कही जा रही थी। दिल्ली में शराब की बिक्री अब पूरी तरह से निजी हाथों में होने जा रही है। दिल्ली सरकार के तहत काम कर रहे निगमों के पास अब शराब की कोई दुकान नहीं होगी। दिल्ली में करीब 850 शराब की दुकानें हैं। दिल्ली में करीब 60 फीसद दुकानें सरकारी हैं। सरकार की मानें तो यहां पर ब्रांड पुसिंग और टैक्स की भी चोरी होती है। 60 फीसद सरकारी दुकानों के सापेक्ष में सरकार को 40 फीसद प्राइवेट दुकानों से ज्यादा राजस्व आ रहा है। इस सब के बीच अब नई नीति की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
उपराज्यपाल से अनुमति मिलते ही इस बारे में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। नई नीति में इन दुकानों का कोई भी काउंटर सड़क की तरफ नहीं खुलेगा। दुकानदार को सीसीटीवी लगाने और सुरक्षा गार्ड आदि की व्यवस्था करनी होगी। खुले में शराब पीने का माहौल नहीं बनने देना होगा, इसकी जिम्मेदारी दुकानदार की होगी।
बहरहाल दिल्ली सरकार ने एक गत एक जून को लागू हुए आबकारी (संशोधन) नियमावली 2021 में साफ कर दिया है कि शराब के दाम निर्धारित करने का अधिकारी आबकारी आयुक्त के पास रहेगा। जो भी कंपनियां शराब के दाम का प्रस्ताव तैयार कर आबकारी विभाग को देंगी, वे यह भी बताएंगी कि उन्होंने जो दाम निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया है उसका आधार क्या है। वे उस दाम पर उसे क्यों बेचना चाहती हैं।
इस नियमावली से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली में शराब के दाम में बहुत अधिक गिरावट के आसार नहीं हैं। इस व्यवस्था में दिल्ली में प्रतिस्पर्धा की संभावनाएं भी समाप्त हो गई हैं। दिल्ली में अब एक समान दाम की ही उम्मीद की जा रही है। आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि दिल्ली जैसे राज्य में शराब प्रतिस्पर्धा कराकर नहीं बेची जा सकती है। दिल्ली में पढ़ा लिखा ग्राहक होता है उसे हर चीज में गुणवत्ता चाहिए होती है। प्रतिस्पर्धा में कई बार गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।