लाइफ स्किल: जीवन में कामयाबी के लिए तलाशें अवसर
हमारे देश में तरह-तरह की समस्याएं हैं। हर तरफ कुछ न कुछ ऐसा है जो कि ठीक होना चाहिए। इस तरह हर समस्या में एक मौका छिपा होता है। अगर हम किसी समस्या का समाधान ढूंढ़ सकें तो वह एक सफल बिजनेस आइडिया बन सकता है।
अनिल सेठी। आज स्पर्धा का दौर है। चाहे आप बिजनेस करें या नौकरी, सभी में आपको स्पर्धा का सामना करना होगा और इसके लिए हर समय नये ज्ञान को हासिल करना होगा। हमारे देश में तरह-तरह की समस्याएं हैं। हर तरफ कुछ न कुछ ऐसा है जो कि ठीक होना चाहिए, लेकिन अधिकतर लोग सरकारी तंत्र को भला-बुरा कहकर उसे उसके भरोसे छोड़कर अपने जीवन की राह पर आगे बढ़ते जा रहे हैं, जबकि हर समस्या में एक मौका छिपा होता है। अगर हम किसी समस्या का समाधान ढूंढ़ सकें तो वह एक सफल बिजनेस आइडिया बन सकता है। ऐसा करने से हम नौकरी ढूंढ़ने के स्थान पर नौकरी देने वाले बन सकते हैं। आज के दौर में इस तरह का सोच रखना अतिआवश्यक है। आप देश के जिस भी क्षेत्र में रहते हैं, उस क्षेत्र की समस्याओं का अध्ययन करें और उनमें से किसी का समाधान तलाशें, उसी में अवसर निकल आएगा। आइये, इस बात को एक सच्ची घटना के सहारे समझने का प्रयास करते हैं।
एक बार ग्रेजुएशन के एक स्टूडेंट्स का ग्रुप इंडस्ट्री की विजिट पर गया और जिस फैक्ट्री में गया, वहां पर सैंडविच भी बनते थे। उस पूरी प्रक्रिया को समझने के बाद वापस आने के बाद एक छात्र ने अपने कुछ दोस्तों से बात की कि हमारे कालेज की कैंटीन में सैंडविच की क्वालिटी बहुत ख़राब है और कई बार कहने के बाद भी सुधरी नहीं। क्यों न हम सैंडविच सप्लाई करने का काम करें। एक मित्र राजी हो गया और दोनों मित्रों ने मिलकर घर के गैराज में थोड़ा सा सुधार करके सैंडविच बनाना शुरू किया और अपने कालेज की कैंटीन में पहले दिन 10 सैंडविच दिए, वह भी ट्रायल के लिए इस शर्त पर कि अगर स्टूडेंट्स को पसंद आये तो पैसे दें। धीरे-धीरे सैंडविच की संख्या बढ़ने लगी। 10 से 200 तक पहुंच गई। अब दोनों मित्रों के लिए कालेज से पहले जल्दी उठकर इतने सैंडविच बनाना मुश्किल हो गया, तो उन्होंने एक सहायक को नौकरी पर रख लिया और दोनों मित्र मिलकर क्वालिटी पर नजर रखते। देखते ही देखते उनके सैंडविच की चर्चा आसपास के कालेजों में होने लगी और आर्डर्स आने लगे। जब तक दोनों दोस्तों ने तृतीय वर्ष की परीक्षा दी तो उनको एक फूड चेन को अपना बिजनेस बेचने का आफर भी मिल गया। यह दोनों के लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं था। कुछ मोलभाव के बाद फ़ूड चेन ने 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली और दोनों दोस्तों को आपरेशंस की जिम्मेदारी सौंप दी। कंपनी ने खुद मार्केटिंग की बागडोर संभाली और देखते ही देखते वह एक बड़ा ब्रांड बन गया। आगे चलकर उन दोस्तों ने कई और नये क्षेत्रों में काम किया।
कुल मिलाकर, कहने का आशय यह है कि अवसरों की कमी नहीं है, बस हमें उस नजरिये से चीजों को देखने की जरूरत है। वैसे भी हमारे देश में टैलेंट की कमी नहीं है। कम उम्र वाले युवाओं की बड़ी आबादी है अपने देश में। ऐसे में बस जरूरत है सही लक्ष्य की और लगन की, क्योंकि इसी क्वालिटीज के जरिये हम खुद को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।
-डा. अनिल सेठी
मोटिवेटर एवं लाइफ कोच