दादरी बिजली खरीद समझौता से बाहर निकलना चाहती है BSES, बिजली मंत्री को लिखा पत्र
बिजली अधिकारियों का कहना है कि अन्य संयंत्रों से बीएसईएस को प्रति यूनिट साढ़े पांच से छह रुपये के बीच बिजली मिलती है। वहीं दादरी-एक से साढ़े छह रुपये की एक यूनिट बिजली मिल रही है। इस कारण वह पुराने समझौते से बाहर निकलना चाहती है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। राजधानी में बिजली वितरण करने वाली बांबे सब-अर्बन इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई (बीएसईएस) दादरी बिजली संयंत्र-एक से हुए बिजली खरीद करार को खत्म करना चाहती है। नेशनल पावर थर्मल पावर स्टेशन (एनटीपीसी) के इस संयंत्र से 25 वर्ष पहले बिजली खरीद का करार किया गया था। जानकारी के अनुसार बीएसईएस का तर्क है कि इस संयंत्र से मिलने वाली बिजली महंगी है इस कारण वह समझौता खत्म करना चाहती है। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने भी उसके पक्ष में बिजली मंत्री को पत्र लिखा है।
बिजली अधिकारियों का कहना है कि अन्य संयंत्रों से बीएसईएस को प्रति यूनिट साढ़े पांच से छह रुपये के बीच बिजली मिलती है। वहीं, दादरी-एक से साढ़े छह रुपये की एक यूनिट बिजली मिल रही है। इस कारण वह पुराने समझौते से बाहर निकलना चाहती है। समझौते की अवधि भी समाप्त हो गई है, लेकिन एनटीपीसी इसे खत्म करने को तैयार नहीं है। लगभग आठ माह से बिजली नहीं लेने के बावजूद एनटीपीसी को प्रति माह स्थायी शुल्क के रूप में 35 करोड़ रुपये देने पड़ रहे हैं। इस मामले में बीएसईएस ने केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के पास भी अपील की थी। सीईआरसी ने उसके हक में आदेश जारी किया है।
साथ ही डीईआरसी ने बिजली मंत्री को पत्र लिखकर दादरी-एक से बीएसईएस को बिजली आपूर्ति हमेशा के लिए बंद करने की मांग की है। बिजली अधिकारियों का कहना है कि यह करार खत्म होना दिल्ली के उपभोक्ताओं के हित में होगा। महंगी बिजली का भार आखिरकार उपभोक्ताओं पर पड़ता है।