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आंकड़ों के जरिए जानें लॉकडाउन-2 में ज्यादा आक्रामक कैसे बना कोरोना संक्रमण

COVID-19 लॉकडाउन-2 में कोरोना ज्यादा आक्रामक रहा। लॉकडाउन के नियमों का लोगों ने ठीक से पालन नहीं किया। लॉकडाउन-3 भविष्य की राह तय करेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 12:18 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 12:22 PM (IST)
आंकड़ों के जरिए जानें लॉकडाउन-2 में ज्यादा आक्रामक कैसे बना कोरोना संक्रमण
आंकड़ों के जरिए जानें लॉकडाउन-2 में ज्यादा आक्रामक कैसे बना कोरोना संक्रमण

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। COVID-19: कोरोना को समझना विशेषज्ञों के लिए पहेली से कम नहीं है। उम्मीद तो थी कि लॉकडाउन कोरोना की कमर तोड़ देगा। इसके चौथे सप्ताह में यह कमजोर भी पड़ा, लेकिन इसके ठीक बाद मामले बढ़ने शुरू हो गए और छठे सप्ताह में तो रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए। आंकडे़ बताते हैं कि लॉकडाउन-2 में कोरोना ज्यादा आक्रामक रहा। दिल्ली में 58.54 फीसद मामले इस अवधि में ही बढे़। डॉक्टर इसका कारण यह बता रहे हैं कि लॉकडाउन के नियमों का लोगों ने ठीक से पालन नहीं किया। लॉकडाउन-3 भविष्य की राह तय करेगा।

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शुरुआत में लोगों ने संयम दिखाया था। कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो लोगों ने काफी हद तक घरों में रहकर नियमों का पालन किया। लॉकडाउन से पहले दिल्ली में महज 30 मामले आए थे और सिर्फ एक मरीज की मौत हुई थी। लॉकडाउन के पहले सप्ताह तक भी स्थिति काफी बेहतर थी और संक्रमित लोगों का आंकड़ा 100 के पार नहीं पहुंचा था, लेकिन 30 मार्च को सामने आए निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज की घटना ने उम्मीदों पर जैसे पानी फेर दिया। तीसरे सप्ताह में एक समय (10 से 13 अप्रैल के बीच) महज चार दिन में ही कोरोना के मामले दोगुने हो गए थे। तब उन चार दिनों में 790 नए मामले सामने आए थे।

इसके बाद कोरोना का संक्रमण कमजोर होता दिखा और तीसरे सप्ताह के मुकाबले चौथे सप्ताह में 43.04 फीसद मामले कम आए। लेकिन लॉकडाउन के पांचवे सप्ताह में संक्रमण बढ़ गया। इस वजह से चौथे सप्ताह के मुकाबले पांचवे सप्ताह में 83 फीसद मामले (1080) अधिक आए। वहीं छठे सप्ताह में 1790 नए मामले जुड़ गए। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली, मध्य दिल्ली व उतरी दिल्ली अधिक प्रभावित हैं।

राजधानी में 11 दिन में दोगुने हुए मामले : यदि आंकड़ों पर गौर करें तो 24 अप्रैल तक दिल्ली में कुल 2514 मामले सामने आए थे, जो 5 मई तक बढ़कर 5104 हो गए। इस दौरान कुल मामलों में 103 फीसद की बढ़ोतरी हुई।

एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत पांडव ने बताया कि लॉकडाउन सोशल वैक्सिन है। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि अभी इसके इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। लॉकडाउन आंशिक रूप से खोले जाने के कारण मामले बढे़ हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन-2 में कई जगहों पर लोगों ने नियमों का ठीक से पालन नहीं किया। इस वजह से संक्रमण फैला। लॉकडाउन-3 में काफी रियायत मिली है, उसके मामलों का तो सात दिन बाद ही पता लग सकेगा। इसलिए अभी कुछ दिनों तक मामले बढेंगे। दो सप्ताह बाद मामले कम हो सकते हैं।


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